भारत में फैशनपरस्ती नकल बहुत जबरदस्त है प्रेम भी वैलेंटाइन से सीख रहे है मदर, फादर,फ़्रेंडशिप डे अनाप शनाप मानते है दुःख इसका है की मेरे देश का युवान अपनी संस्कृति नहीं जानता,विदेशियों की मानसिक गुलामी को विवश है।
भारत में प्रेम के लिए किसी विशेष दिन का चयन नहीं किया गया था प्रेम स्वाभाविक मानसिक पक्ष है जिसके लिए आप 14 फरवरी के इंतजार कर रहे है उसे 364 दिन में कभी अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता थी। यह भी सच है भारत के प्रेम में व्यवसायीकरण नहीं निहित था। ग्रीटिंग,कार्ड,खिलौने,बुके,होटल आदि आदि। उसे हम आंखों से बया कर देते है जिसको समझना है वह आंखों से ही उत्तर दे देता है।
जहाँ प्रेम तह नेम नहि तह न बुधि व्यवहार ।
प्रेम मगन जब मन भया कौन गिने तिथिवार।।
भारत जैसे देश प्रेम को अभिव्यक्त करने के लिए हमें वैलेंटाइन जैसे प्रेत की आवश्कता पड़ रही है तब आप समझिये की जड़ो से कितना छिटक गये है। कब हमारे युवा अपनी संस्कृति की खूबसूरती को जानेंगे?
बंधु भावनाओं का व्यापार नहीं किया जाता है नहीं तो जिसे आप प्यार का नाम दे रहे हो वह खुमारी की उत्तेजना उतरते ही प्रेमी और प्रेयसी एक दूसरे के लिए कुत्ता-बिल्ली साबित होते है।
प्रेम मन का उद्वेग है जिसे मन ही समझ सकता है
“प्रेम न बाड़ी उपजय प्रेम न हॉट बिकाय”…
“छिन हँसे छिन रोये यह प्रेम न होये”…
प्रेम समर्पण का नाम है जिसमें किसी प्रकार की वासना समाहित नहीं है वह निर्मूल और पूर्ण है प्रेम को जितना तुम शब्दों में बांधना चाहते वह शब्दों से मुखरित होकर मन की गलियों में गुंजायमान होने लगता है। प्रेम में द्वि का भाव खत्म हो जाता है। जब एक बार हो गया तब इस जीवन में दूजा रंग नहीं चढ़ता। वास्तव प्रेम रूपी समुद्र का जिसने रसास्वादन ले लिया उसे बाकी खारा लगने लगता है।
भुक्ति और मुक्ति दोनों नोन सी खारी लागे
प्रेम को लव और इश्क केचुल चढ़ा दिया तुमने। अब हमें दूर तलक प्रेम नहीं दिखता सिर्फ भावनाओं के बांध टूट रहे है मेरा भी एक पार्टनर कुछ दिन हो सिर्फ यही सोच कर हम भी गुलाब लिए गली गली भटकते फिरते है।
लेकिन प्रेमी फिर भी न मिला@ क्या तुम्हें प्रेम अभी तक नहीं मिला ..😜 धिक्कार है ऐसे जीवन का!!
@अनिता शर्मा जी इस पर आप की टिप्पणी अपेक्षित है
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😂😂👍
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अंतिम पंक्ति हृदय को विदीर्ण कर गई 😂👍
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मतलब की आपका भी प्रेम अभी वैलेंटाइन अंकल को प्रकट करवाना है😹
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😂😂
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धनंजय भाई आपने बिल्कुल सही कहा है,👌🏼👌🏼 वर्तमान समय में हम यह सब युवा वर्ग में देख भी रहे है ओर शायद समझाने की कोशिश भी इस भौतिकतावादी युग में बेअसर है 😊
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यह सही कहा आपने । देहात्मवादी युग कोई किसी की सुधि न लेगा। जो उसके देह को अच्छा लगे वही सही🙏
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प्यार को प्यार ही रहने दी कोई नाम न दो…..
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🤤🤤🤤🤤 जी सन्दर्भ आज वाला है
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*रहने दो
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