कलयुग की प्रेमगाथा ❤️❤️

यह समय अंग्रेजी वाले लवर का चल रहा है GF, BF के बाद प्रचलन में X भी आ गया। मेरी X तेरा X,लवर का प्रचलन फैलता जा रहा है एक वायरस की तरह। चरित्र क्या होता है न BF को पता न GF को। इनका मानना है जितना दिन मन कर रहा हो रहो उसके बाद आगे का रास्ता नापो यहाँ मेरे पास तुम्हारी कहानी के लिए टाइम नहीं है।

लड़की कहती है लौंडा पांच दिन बाद दूसरी ढूढ़ने लगता है हम क्यों एक में फंसे रहे । रात-रात भर बाते,चैटिंग,Msg, vedio cal ऐसा लगेगा यही धरती का परफेक्ट जोड़ा है । कुछ दिन बीते सेटिंग चेंज ,फिर दोनों अलग टेस्ट के लिए दूसरी/ दूसरा,तीसरी/ तीसरा आगे श्रृंखला कितनी दूर जाये पता नहीं।

टूटते रिश्ते,कमजोर होता व्यतित्व ,एक दूसरे को धोखे में रखते लोग आखिर यह सीख उन्हें अंग्रेजी शिक्षा ने ही दी है। आज इतने ज्यादा स्वार्थ में अंधे हुये लोग है कि उन्हें अपने ऊपर चिंतन के लिए तनिक समय नहीं है। स्त्री की गरिमा और पुरुष की महिमा को देहसुख के लिए मलीन कर रहे है।

मेरे इस विषय पर लिखने का मकसद यह है कि लवर का बार-बार बदलाव किस लिए है? आखिर ये क्यों चल रहा है । कुछ लड़कियां घर से भाग कर अंतर्जातीय शादी कर रही है। उन्हें लगता है कि उसके बगैर मर जायेगी। इस शादी का भविष्य बहुत छोटा होता है (अपवाद छोड़ के)।

आज यह चारित्रिक पतन क्यों है! हमारा युवा मन TV और सिनेमा से प्रभावित हो गया। वह कॉकटेल बना रहा है।

सम्बन्ध प्रगाढ़ ,स्थायी और प्रेममय होता है। यह गर्मी दूर करने और वेडियों बनाने वाले, टाइम पास करने वाले नायक-नायिका भविष्य देख कर बाइंडिंग नहीं किये है बल्कि स्वार्थ देख कर । आज वाले लव में नायिका अपने नायक से तरह-तरह का उपहार चाहती है विश्वास और प्रेम से उसका कोई सर्वकार नहीं है।

वह कहती है जब तक मन हुआ हम-तुम मजे लिए अब मेरा मन तुम पर नहीं लगता। अब मैं पप्पू से प्यार करती हूँ । लड़का मुझे क्यों छोड़ा ? मैं तुम्हें वाइफ बनना चाहता था, मैं तुम पर कितना पैसा और समय बर्बाद किया । तुम ऐसा मेरे साथ कैसे कर सकती हो ? लड़की-मैं कोई तुम्हारी पहली नहीं थी मुझसे पहले और बाद रहेगी ,आजकल के लौंडो को मैं अच्छे से जानती हूं। मैं नहीं तो कोई और सही।

अब रिश्ते लिव इन रिलेशनशिप वाले हो गये। जब तक अच्छा लगे बिना विवाह किए एक घर में पति-पत्नी की तरह रहे। किसी की कोई जिम्मेदारी नहीं। फिर तुम अपने रास्ते हम अपने।

प्रेमी-प्रेमिका और पति-पत्नियों की अदला-बदली अमेरिकी-यूरो संस्कृति के प्रभाव में रिश्तों में पशुता आ जा रही है। माया नगरी के सिनेकलाकार की तरह मेरी बीबी सिर्फ मेरी नहीं है वह तब तक है जब तक वह चाहे।

भारतीय संस्कृति में प्रेम में ,रिश्तों में पशुता और नीचता नहीं रही है रिश्ता मतलब विश्वास, रिश्ता मतलब प्रेम,रिश्ता मतलब आदर्श, रिश्ता मतलब एकत्व की भावना, रिश्ता मतलब संस्कार है। आज रिश्ता मजाक बन गया।

अंग्रेजी शिक्षा अंग्रेजी संस्कार को हमारे समाज में रोप रही है। पति-पत्नी का रिश्ता अभिन्न था। प्रेमी-प्रेयसी की कितनी कहानियां रही है जिसका मन से वरण कर लिया वही तन से वर हो जाता है। नल दमयन्ति की प्रेम गाथा, दुष्यन्त-शकुंतला की प्रेम गाथा अजर-अमर है।

महाभारत में वर्णन है जब जुएं में अपना सब कुछ हार कर नल रात्रि में सराय में दमयंती को छोड़ कर चले जाते है । दमयंती नदी से,पहाड़ से,पेड़ से, जंगली पशुओं से,चिड़िया आदि से कहती है तुम मेरे नल को देखें हो, मैं उनके बिना जीवित न रहूंगी।

जब माता सीता का हरण हो जाता है श्रीराम उन्हें खोजने के लिए जाते है तो कहते है कि

हे खग मृग हे मधुकर श्रेणी ।
तुमने देखी मेरी सीता मृग नैनी।।

श्रीराम अपनी “श्री” के लिए व्याकुल दिखे। क्या यह प्रेम तुम्हें नहीं दिखा जो वैलेंटाइन में तुम प्रेम की तलाश करने लगे।

प्रेम का भारतीय ग्रंथों अद्भुत वर्णन है आज के युवाओं को पढ़ना चाहिए जिन्होनें प्रेम को बदनाम कर दिया है। प्यार पूरे जीवन एक से होता है लगाव कई लोगों से होता है।

“प्रेम गली अति साकरी जामे दो न समाय”

चरित्र के लिए हिटलर कहता है कि चरित्रहीन व्यक्ति समाज में वायरस की तरह है समाज में उसे फैलता जाता है इस लिए चरित्रहीन को गोली मार देनी चाहिये।

चरित्र से आप पता नहीं कहा तक सहमत है! स्त्री पुरुष में रिश्ता मित्र का हो ही नहीं सकता है बारूद और माचिस में मित्रता कैसी? रिश्तों को घुमाया न जाय बल्कि वास्तविकता में जिन्होंने ने अनुभव लिया उनसे पूछ कर देखिये। स्त्री-पुरुष सम्बन्ध पिछले 5000 वर्षों सबसे निम्न स्तर के दौर से गुजर रहा है।

भारत की भूमि चरित्र को बहुत महत्व देती रही है जिसको मन,वचन से पति/पत्नी मान लिया वही कर्म से भी होता है।

कौशिक और कौशिकी की कथा में जब कौशिकी के पिता कौशिक के साथ कौशिकी का विवाह निश्चित कर देते है। कुछ दिन बाद कौशिक को कुष्ठ रोग हो जाता है वह विवाह के लिए मना कर देते है। कौशिकी अपने पिता को लेकर कौशिक के पिता गाधि के आश्रम जाती है उनसे कहती है यह बीमारी विवाह के पश्चात होती तो क्या मैं इनका परित्याग कर देती ? नहीं ! मैंने मन वचन से इन्हें पति मान लिया है यह बंधन सात जन्मों का है जो मेरे भाग्य में है वही होगा। आगे कहती है कि-

पति पत्नी वह रथ के पहिये है जिसपर सृष्टि घूमती है। मैं आप को मन से ,वचन से पति मान लिया मैं दूसरे का वरण नहीं कर सकती।

कौशिक-कौशिकी,नल- दमयंती,दुष्यंत-शकुंतला
,राम-सीता की भूमि पर प्रेम,विश्वास और रिश्तों का अभाव है। रिश्तों की उखड़ती डोर। चिंता है हमें भारतीय संस्कृति की है जिसका आचरण युवा पीढ़ी में नहीं दिखता है। यह दशक 2020- 2030 बहुत कठिन है इसमें जिस तरह से समाज में आदर्श रोपेंगे वह 2090 तक चलने वाला है। इस बहुत सावधानी से कदम उठाने की जरूरत है।

चरित्र,संस्कार,मर्यादा और अनुशासन बीते युग की बाते होनी लगी है। हमारे घर में ,हमारी सोच में अपसंस्कृति का प्रवेश जिससें हमारा मन विशृंखलित हो गया है। दूसरे के प्रभाव में कुछ दूसरा कर रहे। एको ही नारी सुंदरी या दरीवा कही गयी है पति को देव तुल्य माना गया है। विवाह के समय पत्नी अपने पति से सात वचन लेती है और एक वचन देती है।

एको नारी व्रत: । एको पति व्रत: कहा गया है।

यह डोर प्रेम भरे विश्वास की है अभिन्नता,एकात्म के अनुभति की है।

अपने सतीत्व की शक्ति से माता अनुसूइया ने ब्रह्म,विष्णु और महेश को बालक बना दिया।

भगवान परशुराम ने अपने पिता जमदग्नि के कहने पर अपनी माता रेणुका वध का उनकी अशक्ति(चरित्र) डिग जाने की वजह से कर दिया। चरित्र का बल सबसे बड़ा बल। उच्चश्रृंखल होकर देयभोग की वासना सुख नहीं देगी बल्कि अहंकार और भ्रम पैदा करेगी। जीवन पत्नी और पुत्री के शंका में बीतेगा।

मनुष्य के रूप एक पुरुष को एक स्त्री संग का अधिकार है यही बात नारी पर लागू होती है। भौतिक भोगों से कामनाओं की तृप्ति नहीं होती है। उससे शरीर जर्जर और कामी हो जाते है। हमारे शास्त्रों में कहा जाता धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष ! अर्थ और काम का सेवन धर्मानुसार होना चाहिए। वह धर्म से नियंत्रित रहे तभी वह उत्तम है अन्यथा व्यसन बन जाता है।

प्रेम सह्रदय,कोमलता,एकत्व का बोध करता है स्त्री-पुरुष के भेद को दूर कर देता है। प्रेमी-प्रेयसी एक हो जाते है वह जीवन से लेकर मृत्यु तक अभिन्न रहते है।

रूठे सुजन मनाइये जो रूठे सौ बार।
रहिमन फिरि फिरि पोइए टूटे मुक्ता हार।।

63 thoughts on “कलयुग की प्रेमगाथा ❤️❤️

  1. वर्तमान समय के प्रेम का यथार्थ चित्रण किया है। वर्तमान समय में यह एक बड़ी चुनौती
    बन भारतीय सभ्यता और संस्कृति पर चोट
    पहुँचा रही हैं । विचारणीय व सार्थक लेखन 👌🏼👌🏼

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    1. लेखन विचारणीय जरूर हो सकता है किंतु कोई विचार न करेगा। भारतीयता से भारतीयों को ही चिढ़ हो चुकी वह नकल करने अक्ल गवा दिया है उसे अच्छाई अमेरिकी यूरो में दिखती है।

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      1. आप सही कह रहे हैं धनंजय भाई निराशाजनक परिवेश दिखाई दे रहा है,
        मगर आशा के दीप को सदैव प्रज्ज्वलित रखते हुए अपने ज्ञान के प्रकाश से भटके हुए को राह दिखाने का कार्य सदैव करते रहना चाहिए । किसी ने कहा है ” आप भले ही मेरे विचारों से सहमत ना हो मगर मैं आपके ओर समाज के हित के लिए अपने विचार प्रकट करता रहूँगा ” ।

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      2. आशा निराशा से दूर मेरा बसेरा मेरे मैं है हम तो बस आँखन की देखी कह देते है

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  2. अद्भुत…. और यथार्थ..!

    समाज की व्यथा, हम आज़ाद हो कर भी अंग्रेजों के ग़ुलाम ही रहे..!😌

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  3. आपका विचार सही है… आज के युवा वर्ग ज़िम्मेदारी से भागते है इसलिए शायद अपनी संस्कृति को छोड़ कर western or modern culture अपना रहे है

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      1. Ha ha…
        7-8 साल पहले गाए थे…हिंदू धर्म के प्रसिद्ध 12 ज्योर्तिलिंग में से एक भीमाशंकर भी है

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      2. 6 पर आता है डाकिण्य भीमाशंकरं। भीमा के शंकर,भीम राक्षस का संघार करने वाले शंकर

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      3. इतने कम उम्र में ज्योतिर्लिंग के दर्शन जो कहता है संस्कार अच्छे है परिवार की धर्म में रुचि है।

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    1. बगल में प्रतापगढ़ फोर्ट है ,यही शिवजी राजे ने अफजल खा की गर्दन काटी थी,नारा शुरू हुआ जय भवानी जय शिवाजी🙏

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    1. मुझे कुछ मामले में हिमालय से भी अच्छा लगा महाबलेश्वर । 4952 फीट की ऊँचाई 350cm वर्षा और मनोहर प्रकृति

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      1. हम घुमन्तु वाले है पूरा भारत,चार धाम,8 ज्योतिर्लिंग और 27 शक्तिपीठ, पशुपतिनाथ जनकपुरी,बुढ़ेनीलकंठ ,लुम्बनी,पोखरा भी

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      2. महाकालेश्वरजी,ओंकारेश्वरजी,केदारनाथजी,
        विश्वनाथजी,वैद्यनाथजी

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      3. मेरा मल्लिकार्जुन,ओंकारेश्वर,महाकालेश्वर,वैद्यनाथ बाकी है मल्लिकार्जुन छोड़ के सब मेरे पास ही है। एक चीज और द्वादश ज्योतिर्लिंग के बाद पशुपतिनाथ नेपाल के बाद ही यह दर्शन पूर्ण माना जाता है।

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      4. कैलाश मानसरोवर,अमरनाथ भी महत्वपूर्ण है जैसे चार धाम के बाद कांचिकोटी पीठ के दर्शन करने होते है।

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      5. मन में संकल्प उसे करने दृढ़ता बस फिर दर्शन हो जाता है। ईश्वर की कृपा से पता ही न चला कब लगभग भारत घूम लिए 🍁 अभी सात देश जाने है देखिये कब से ईश्वर शुरू करवाते है

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      6. धर्मवाद क्या होता है यह परिभाषा कहा से आई?वादों का जन्मदाता कौन है? क्या यह सनातन हिंदु धर्म में स्वीकार है।

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