यह कैसा न्यू ईयर है●●●●💘👅

भारतीयों का होता सांस्कृतिक पतन जिस गति से बढ़ रहा उससे लग रहा है जल्द ही भारत का मुख्य त्यौहार क्रिसमस और न्यू ईयर हो जायेगे।

किस तरह से युवा पीढ़ी आधुनिकता और स्वतंत्रता की अति के लिए न्यू ईयर सेलिब्रेट कर रही है। युवा पीढ़ी फैशन के नकल की ऐसी दीवानी हो गयी है कि न्यू ईयर पार्टी, दारू पार्टी, कपल का होटल के एकांत कमरे का आनंद। गोवा बीच की अश्लीलता को भी वह आनंद के विषय से जोड़ लिया है।

फैशन की गिरफ्त में युवा पीढ़ी में किस जगह जाकर सेलिब्रेशन हुआ ,उसका महत्व अत्यधिक हो चुका है।

यह सिर्फ क्रिसमस और न्यू ईयर तक सीमित नहीं है बल्कि बर्थडे पार्टी,सक्सेस पार्टी, मैरिज पार्टी आदि में सब तत्व अप संस्कृति से आ चुके है। हमारी भारतीयता कहाँ गुम होकर किनारे खड़ी निहार रही है कि मेरा बच्चा कैसे काला अंग्रेज बन गया।

एक अनपढ़ चाचा कह रहे थे कि मेरा पोता आज सुबह बिस्तर से से उठते ही हैप्पी-हैपी कह रहा है। तब जानते है उन्होंने क्या कहा… बेटा हैप्पी का मतलब खुशी से है तुम कितना खुश हो ,कितना मीठा खाया, मीठे से मतलब है कि भारत के उत्सवों में मिठाई एक महत्वपूर्ण चीज है। साथ ही चाचा ने कहा कि बेटा यह त्यौहार ईसाइयों का है, हिंदुओं का नहीं है।

हिन्दू के त्यौहार संक्रांति,चौथ,अमावश्या,चैत्र प्रतिपदा है क्रम से आयेंगे, चैत्र प्रतिपदा के दिन हिन्दू संवत्सर का प्रारम्भ होता है। किंचित तुम्हें ध्यान हो #विक्रम संवत्,शक संवत्, #कल्कि संवत्।।

डीजे लगा कर कानफोड़ू संगीत के बीच शराब पीकर जोर जोर हैप्पी न्यू ईयर कहना किस तरह खुशी का पर्याय बन सकता है?

भारत में लागू अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था,राजनीतिक व्यवस्था ने पूरी सरकारी व्यवस्था को उसी तरह बना दिया है। हमारे बच्चें इन नकली उत्सव को महोत्सव समझने लगे है। कब्र में #मैकाले की रूह मुस्करा रही है।मैकाले ने भारत के लिए जिस सोच के साथ अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था को लागू किया था उसके परिणाम अब मिल रहे है।

अंग्रेजों के हिसाब से दिसम्बर में छुट्टी, क्योंकि उन्हें इंग्लैंड परिवार के साथ #क्रिसमस और #न्यू ईयर मनाना था। गर्मी का भी हाल यही था जून भारत में बहुत गर्म महीना रहता है और ब्रिटेन में बच्चों के स्कूल इस समय बन्द रहते थे।

हमारे बच्चें अपने त्यौहार भूल गये संक्रांति में तिल के लड्डू क्यों खाये जाते है किंचित उन्हें पता हो। यह अपसंस्कृति का प्रभाव है कि शहर क्या गांवों तक #अंग्रेजी कल्चर हावी होते जा रहे है।

स्वागत जीवन में कम होने का नहीं होता बल्कि बढोत्तरी का होता है नववर्ष नव संकल्प के साथ शुरू किया जाता है दारू पार्टी,रेव पार्टी, पेज थ्री से नहीं है । बल्कि बुद्धि विवेक आपका खूब चिल्लाईये हैप्पी न्यू ईयर…

हमारी संस्कृति के सबसे बड़े वाहक थे हमारे परिवार। जिसमें #दादा-दादी,चाचा-चाची,बुआ,मामा, मौसी उनके बच्चों के साथ बड़े होते थे । गौरतलब है कि परिवार टूटने से रिश्ते लुप्त हो गये अब बच्चें मोबाइल के साथ बड़े होने लगे।

काश की भारत अपनी संस्कृति के अनुरूप व्यवस्था को अपना सके। व्यवहारिक रूप में #दक्षिण भारत के लोग उत्तर भारत के हाइब्रिड कल्चर से बहुत आशंकित रहते है क्योंकि उन्होंने उत्तर भारत की अपेक्षा अपने त्योहार,परम्परा,मान्यता आदि को बचा रखा है।

उत्तर भारत राजनीतिक गढ़ होने से कुछ ज्यादा सेकुलर फील कराता है।।

Advertisement

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s