भय का होना बहुत जरूर है भय कर्तव्य का स्मरण करता है स्वयं को जाग्रत रखता है बेअदबी करने की हिमाकत नहीं होती है। साहस अपनी जगह है भय का अपना महत्व है। धर्म, संस्कृति ,देश,परिवार,समाज का मूल्य बना रहता है। भय नियंत्रण हीन नहीं होने देता, वह पागल भी नहीं बनने देता।
इस लिए कहा जाता है कि भय बिनु होय न प्रीति। आप भी भय के भयंकर को नमस्कार करिये जिससे मानव की गरिमा आप में बनी रही।
फिर आप पूछेगें भय इतना जरूरी क्यों है क्योंकि शोयब मिया जैसे एम्स से तालीम ले रहें कट्टरपंथी सेकुलर को भी इल्म रहे कि राम भारत की जनमानस की श्रद्धा का केंद्र है उसके इस कुकृत्य (राम लीला मंचन) पर भले कोई तालिबानी गर्दन पर छुरा न चलाये किन्तु कानून अपना काम करेगा। बार बार हिन्दू श्रद्धा का मजाक इस लिए उड़ाया जा रहा है कि उसे भय नहीं है दंडित होने का।
वह रूठी थी नाराज थी जाने क्या बात थी। मैंने पूछा तो बोली कोई बात नहीं बस बात नहीं करनी है।
सोच के विचरने की क्षमता मनुज धरता है फिर भी अकड़ता है। किस बात की अकड़ है यह कभी नहीं समझता। एक जीवन है इसे प्रेम में बिता लो या बैर में, कोई पूछने वाला नहीं है।
यदि दुःख है तो दुःख कारण है उसका निवारण है मैं तुम नहीं बन सकता है बस यही रिक्त स्थान को स्याह करना चाहते हो । मेरा मैं, तुम्हारा तुम ही इस दुनिया के अजूबे है जो इसे समझ गया वह जगत-जीव के सम्बन्ध को पा लिया।
हम तुममें उतरना चाहते है लेकिन तुमने खिड़की दरवाजे सब बन्द कर रखे है। हम तो चाहते है यह मैं और तुम की दीवार हम गिरा दे।
पहले प्रेम की गली सकरी हुई अब जीवन की गली सकरी हो गयी है जामे दो न समाय। यह दूसरा कहाँ जाय, जब गली तुम्हारें लिए ही तंग है। संकुचित सोच और बन्द दरवाजे, कोई कैसे करे प्रवेश? संसार तब छोटा हो जाता है जब हम लघुता से मित्रता गांठ लेते है। तुम जीवन की गहराई में न उतर कर,किनारे-किनारे चल कर गूगल से जीवन की खोज करना चाहते हो?
मुस्लिम कौम के साथ कोई कैसे रह सकता है। मुस्लिम किसी सामाजिकता का पालन तब तक करता है जबतक की वह बहुसंख्यक न हो जाये।
कश्मीर में पंडितों के पलायन हो या स्कूल में आई कार्ड देखकर हिन्दू- सिख टीचर की हत्या। बंगाल और केरल पर हावी होते इस्लाम से आंख नहीं मूंदी जा सकती है। मुसलमान को हद में रखने के लिए उन्हें अल्पसंख्यक रूप में रखना होना। अल्पसंख्यक वह तभी रह सकता है जब आप उनके जन्म दर पर रोक लगाएं । एक सामान्य मुस्लिम के औसत पांच बच्चें होते है।
बंगलादेश में दुर्गा पूजा में पंडाल को नष्ट करने के साथ हिंदुओं को मारा गया, स्त्रियों का रेप किया गया। एक परिवार के पुरुष के अंगों को नोच लिया गया वही उसकी पत्नी,बहन और मां के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया।
ऐसी ही दुर्दांत घटना वर्णन तस्लीमा नसरीन ने अपनी पुस्तक “लज्जा” में किया है । अयोध्या में जब विवादित ढांचा गिराया गया उसकी प्रतिक्रिया बंगलादेश के मुस्लिमों ने की । 13 साल की हिन्दू बच्ची का रेप उसी के मुहल्ले के मुस्लिमों ने किया। इन रेपिस्टों में तीन पीढ़ी के मुस्लिम शामिल थे जब 85 का दंगाई रेप करने लगा तो बच्ची ने कहा चच्चा आप भी, अरे आप की गोद में खेल कर बड़ी हुई हूँ। तस्लीमा नसरीन को दंगे की हकीकत उजागर करने के लिए बंगलादेश छोड़ना पड़ा । वह फ्रांस,ब्रिटेन होते हुये निर्वासित रूप से भारत में रह रही है।
मुस्लिम जबकि अपनी औरत का सगा नहीं है उसे बच्चा पैदा करने की मशीन समझता है बुर्के में कैद रखता है। वह औरत जब तक जवान है उसकी कोख हरी भरी रखाता है। उससे मानवता की आशा बेमानी है।
पाकिस्तान में कृष्ण जन्माष्टमी में मन्दिर तोड़ने का वीडियो वायरल हुआ था। अफगानिस्तान में तालिबान मन्दिर और गुरुद्वारे को मस्जिद बना दे रहे है।
सुन्नी के लिए शिया काफिर, शिया और सुन्नी के लिए कूर्द काफिर । शिया सुन्नी और कूर्द के यजीदी और अहमदिया काफिर। इन सबके के लिए हिन्दू,बौद्ध,ईसाई, पारसी काफिर।
मुस्लिम आप के सामाजिक नियम को तब तक ही मानता है जब तक वह अल्पसंख्यक है यह अल्पसंख्यक ज्यादा दिन तक नहीं रहता है क्योंकि इसकी पैदावार सुअर जैसे बढ़ती है। एक से सात ,सात से उनचास।
आतंकवाद का कोई धर्म नहीं है फिर भी सभी आतंकवादी मुसलमान क्यों है? मुस्लिम आतंकवाद की पहचान कर लेने पर जो कुछ मजहब नाम का वह भी सामने आ जायेगा। सामान्य मुस्लिम डरता है वह कमियों की बात करेगा उसकी गर्दन जिबह कर दी जायेगी।आतंकवादी से लेकर मौलवी और आईएएस मुस्लिम तक यही कहता है वह वही कर रहा है जो कुरान में लिखा है।
कुरान में लिखा है कि काफिर का कत्ल करो जन्नत में 72 हूर पाओ। अल्लाह का काम करो,काफिर को कुरान का इल्म दो इस रास्ते मारे जाते हो फिर भी तुम्हें जन्नत अता होगी। 72 हूरें मिलेगी।
मुस्लिम तादाद बढ़ते ही वह शरिया की मांग करता है पिछले दिनों तमिलनाडु कोर्ट में मामला आया एक मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र के एक मौलवी ने कहा हिन्दू की शोभायात्रा पर रोक लगे क्यों कि मेरा मजहब इसकी इजाजत नहीं देता है उसके अजान में बेजा खलल पड़ती है। यह हालत भारत की है तब सोचिये पाकिस्तान में किस तरह से 13-14 साल की हिन्दू बच्चियों के अपहरण करके उन्हें मुस्लिम बना कर निकाह कोई मजहबी कर लेता है।
अधिकार जन्म से मिलता है किंतु कर्तव्य के निर्वहन की जिम्मेदारी भी बनती है। यदि तुम्हारा दीन असल है उस मजहब की रक्षा हिंसा करेगी? दहशत से इस्लाम का इल्म कम तक कराया जायेगा। जिस धर्म में जोर जबरदस्ती,धर्म परिवर्तन ,हिंसा आदि है वह धर्म नहीं है। वह राजनीतिक विचार है।
गलतियां कुरान में है दोष मुल्ला मौलवी का ज्यादा नहीं है। इस्लामिक कट्टरता अन्य धर्मावलंबियों को विवश कर रही है तुम भी विराथु बनों। हमें अमन चैन नहीं है न ही तुम्हें लेने देंगें।
फ्रांस में कार्टून की घटना,कश्मीर का हजरतबल, मन्दिर का विवाद। अब गौर करने वाली बात है कि मुस्लिम कब हिन्दू के साथ मिल कर रहा है यदि उसे मिलकर रहना ही आता है तो भारत में हिन्दू मुस्लिम दंगे का इतिहास नहीं रहता।
आखिरकार अफगानियों का आखिरी किला पंजशीर भी ढह गया। कार्यकारी राष्ट्रपति सालेह देश छोड़कर ताजिकिस्तान में पनाह ली है। अब बस नार्दन आलाइन्स के अशद का छिटपुट प्रतिरोध बचा है उन्होंने कहा है कि वह आखिर सांस तक लड़ेंगें। पाकिस्तान ने जब देखा पंजशीर में तालिबान असफल हो रहे है उन्हें भारी क्षति पहुँची है उन्होंने पंजशीर के साथ ही हक्कानी नेटवर्क का दबदबा तालिबान पर बना दिया है।
पिछले दिनों की गोलाबारी में तालिबान प्रमुख बरादर गोली लगने से घायल है जिसका इलाज अनजानी जगह चल रहा है। अफगानिस्तान पर विदेशी समुदाय खासकर अमेरिका का रुख बौद्धिक लोगों की समझ से बाहर रहा है। बाइडेन को तालिबान और हक्कानी में क्या गुड दिखा है। अलकायदा और ISIS में बैड इस लिए दिखा क्योंकि इनके द्वारा अमेरिका को चुनौती दी जा चुकी है।
अफगानिस्तान में विश्व की आतंकवाद की सबसे बड़ी फैक्ट्री बन रही है पाकिस्तान और चीन का सहयोग तालिबान को इस लिए प्राप्त है क्योंकि उन्हें भारत को अस्थिर करना है।
भारत की स्वयं की नीतियां उसके लिए आत्मघाती है। अफगानिस्तान मामले में मोदी ने जो रुख अपनाया है वह विल्कुल नेहरू से मिलता जुलता है गुट निरपेक्षता, भारत की अभी जारी है।
नार्दन आलाइन्स को विश्व समुदाय खासकर भारत से बड़ी उम्मीद थी लेकिन भारत का लोकतांत्रिक इतिहास कहता है कि भारत ने अपने मित्रों का साथ कभी नहीं दिया। एक इंदिरा गांधी का बंगलादेश की मुक्तिवाहिनी को छोड़कर।
तालिबान,पाकिस्तान और चीन से मिलकर नार्दन आलाइन्स अकेले कब तक प्रतिरोध करता है। नार्दन आलाइन्स की बार बार अपील विश्व सनुदाय और भारत से करता रहा। अमेरिका का हित भारत के लिए सर्वोपरि दिखा।
भारत अपनी आंतरिक राजनीति में उलझा रहा है। जैसे पड़ोस में कुछ हो न रहा हो। मुफ्त के अनाज की बंदरबाट ,ओबीसी आरक्षण विधेयक और हिंदु मुस्लिम के पागल प्रेम प्रलाप में अभियान जारी है। भारत की कुटिनीति बिल्कुल भारत के पति-पत्नियों जैसी है दिनभर गहमा-गहमी रात में मान मनौव्वल ।।
विदेश नीति में ज्यादा दूरदृष्टि नहीं है उसका कारण है भारतीय लोकतंत्र का रोज कही न कही चुनाव।।
स्वस्थ्य नीति और मजबूत नेतृत्व के अभाव में भारत जैसा सम्पन्न देश कायर बना हुआ है। सेना का मतलब बहुत ज्यादा नहीं है वीर योद्धाओं को कायर नेता द्वारा सीमित कर दिया गया है। यह विश्व गुरु बनने का ढोंग रचता है उसके पीछे कोई रचनात्मकता नहीं है।
अफगानिस्तान को बर्बरों ने जिस तरह हथियाया है कभी मध्य काल में इसी तरह भारत के क्षेत्र पर अवैध अधिकार होता गया यहाँ के कुछ राजाओं ने मोर्चा संभाला बाकी आज की दिल्ली की तरह गुटनिरपेक्ष और पंचशील के पालन में लगे थे उन्हें ज्यादा मतलब आंतरिक राजनीति से था। फिर कोई अरबी,गुलाम,अफगान,मुगल और अंग्रेज शासक बन गये।
हम नुक्ता चीनी में लगे रहे वह उच्च है वह नीच उसकी पत्नी ऐसी है उसका पति ऐसा है। विदेशी शासकों ने खैरात बाटी यह बात भारतीयों को जच गयी वह भूल गये कि गुलाम है। जैसे मुफ्त खाया उसकी बची खुची बुद्धि चली गयी। वह उन विदेशियों की प्रशस्ति गायन करने लगा,कुछ पुरस्कार पाने की फिराक में।
भरतीयों की स्थिति में बहुत आमूल चूल परिवर्तन नहीं आया है वह आज भी मुफ्त पाने के लिए कतार में खड़ा है उसे देश से ज्यादा फिक्र, अधिक पाने की है।
यह वही दिल्ली है जहाँ से कभी भीष्म ने कंधार को हस्तिनापुर में शामिल किया था। आज यहाँ की जनता मुस्लिम है फिर भी इसने तालिबान और पाकिस्तान का विरोध किया गोली के दम से उनकी आवाज को रौंद दिया गया। यहाँ की जनता के पास ज्यादा कुछ नहीं आसन्न गरीबी ऊपर से मौलवियों का तालिबान को समर्थन ,विरोध पर सीधे गोली शरीर पर लेना।
भारत का नकारापन है कि भारत की भूमि पर आतंकी शरिया लागू कर रहे है हमें चिंता अमेरिका,रूस,चीन की है कही वह नाराज न हो जाये। पाकिस्तान ने सीख दी है भारत को मित्रता कैसे निभाई जाती है। यह अफगान भूमि हमारी है हम मौन है। कुर्सी का मोह से अधिक कुछ नहीं है। हमारी चिंता जातीय जनगणना और अपनी अपनी मूर्तियां लगाने की कही अधिक है।
अफगानिस्तान भारत की भूमि है रामायण काल में महाराज दशरथ का शासन था यह कैकेय राज्य के अंतर्गत आता था। भरत जी की माता कैकेई यही की थी।
महाभारत काल में भीष्म ने गांधार को हस्तिनापुर राज्य में मिला लिया था गांधार नरेश सुबाला के पुत्र राजा शकुनि और बहन गांधारी इसी राज्य से है। तक्षशिला विश्वविद्यालय इसी की सीमा पर था।
महाराज चन्द्रगुप्त ने पूरा अफगानिस्तान मौर्य साम्राज्य में मिलाया जो अशोक और गुप्त साम्राज्य में शामिल था।
सिकंदर के समय मालव जनजाति यही की थी जिसने हमला करके सिकन्दर को घायल कर दिया तत्पश्चात उसकी मृत्यु हो गयी। यह महाराज पुरु के साम्राज्य का हिस्सा था।
राजा दाहिर के वंश का शासन में अफगानिस्तान के कुछ भाग उनके साम्राज्य में था महाराज रणजीत सिंह का भी अफगानिस्तान के कुछ हिस्से पर अधिकार था। अंततः यह अंग्रेजों के समय 1893 में अंग्रेजों की डूरंड रेखा से भारत से अलग हुआ। तब से अराजकता फैली हुई है। ::::::::::::: ::::::::::::::::::::::: :::::::::::::::::::
अफगानिस्तान के लोगों ने पूजा पद्धति बदली है किंतु संस्कृति भारतीय ही है। किसी कोने में ही सही भारत की ज्योत प्रज्ज्वलित है। महमूद गजनवी और अहमदाबाद शाह अब्दाली के आदर्शों का पालन तालिबान कर रहा है लेकिन उसके मन्शुबे कभी पूरे नहीं होंगे।
आतंक के शासन की अवधि लम्बी नहीं होती है। रूस के प्रभाव को खत्म करने के लिए अमेरिका ने पाकिस्तान की मदद से तालिबान को खड़ा किया। 9/12 की घटना के बाद तालिबान अमेरिका के गले की हड्डी बन गया अमेरिका ने तालिबान को 2003 में खदेड़ दिया।
इस समय तालिबान से मोर्चा लेने के लिए खड़े है अफगानिस्तान के कार्यकारी राष्ट्रपति रमुल्लाह सालेह और पंजशीर का शेर कहे जाने वाले अहमद मसूद और उनका संगठन नार्दन आलाइन्स । उनका कहना है कि यदि विश्व समुदाय उनकी हथियारों की मदद करे तो वह तालिबान को खदेड़ कर पाकिस्तान पहुँचा दे।
भारत गुप्त तरीके से मदद करता रहा है किंतु आज आवश्यकता है खुले तौर पर नार्दन आलाइन्स की मदद करने की। यदि भारत नहीं चाहता है कि उसकी सीमा पर आतंक की फैक्टी हो ,हमें नार्दन आलाइन्स की हथियारों और पैसे से सहायत करनी पड़ेगी।
तालिबान सरकार में आते ही भारत से सभी तरह के व्यापार बन्द कर दिया और कश्मीर पर बोलना शुरू किया। हिजबुल मुजाहिदीन का अजहर मसूद कह रहा है कि तालिबान कश्मीर में हमारी मदद करे।
अजहर मसूद आज जीवित होने का कारण यही तालिबान है इसी के समय भारतीय विमान का अपहरण करके कंधार ले जाया गया था जिसमें तालिबान ने मध्यस्थता करके अजहर मसूद को छुड़ाया था। यही मसूद कश्मीर और POK में दहशतगर्दी का दूसरा नाम है।
भारत अपनी नीतियों को खुल के अंजाम दे । Pok वापस लेने के साथ बलूच लोगों की मदद से बलूचिस्तान को आजाद करवाएं। पाकिस्तान अफगानिस्तान में तालिबान को सत्ता दिला सकता है तो भारत बलूचियों को क्यों नहीं ? नार्दन आलाइन्स को अफगान की सत्ता में लाने के लिए उद्यम करने ही होने।
हम अपनी सुरक्षा को अमेरिका से पूछ कर नहीं चला सकते है स्वतंत्र निर्णय लेना होगा। इंदिरा जी ने बांग्लादेश मामले में ऐसा करके दिखा चुकी है।
साहस और कूटनीति दोनों की जरूरत है कि पाकिस्तानी कोढ़ को सदा के लिए खत्म करें। इजरायल की तरह आक्रामक नीति ही एक विकल्प है। युद्ध सदा विनाश नहीं लाते है पुराने का पतन सृजन का द्वार खोलते है।
अफगानिस्तान के 34 प्रान्तों में तालिबान ने 33 पर कब्जा जमाया है लेकिन स्थिति बदलती नजर आ रही है नार्दन आलाइन्स ने पंजशीर के अलावा अहमद मसूद जिनके पिता पंजशीर के शेर अहमद शाह मसूद है जिन्होंने तालिबान को कभी पंजशीर में घुसने नहीं दिया उन्हें 2001 में तालिबान और अलकायदा ने मिल कर मारा था। वही सालेह की बहन का 1996 में तालिबान ने अपहरण कर ,यातना देकर मार डाला।
सालेह अहमद शाह मसूद के साथ 2001 से ही जुड़ गये थे अब उनके बेटे अहमद मसूद के साथ मिल कर नार्दन आलाइन्स ने बगलान प्रान्त का बानू, पोल ए हिसार ,देह ए सलाह प्रान्त में लोगों के साथ मिलकर अफगानी झंडा फहरा दिया। नार्दन आलाइन्स अफगानिस्तान में लोकतंत्र समर्थक है। भारत को कठोर कदम उठाने होंगे क्योंकि घरेलू नीति आरक्षण और चावल बाटने से सीमाएं सुरक्षित नहीं हो जायेगी।
नसीरुद्दीन शाह हो या जावेद अख़्तर इन्हें तालिबान से गुरेज नहीं है वो तो इनके दीन के कुरानी है इन्हें दिक्कत RSS ,विश्व हिन्दू परिषद है क्यों कि इनके नाचने वाले कार्यक्रम अर्थात पेट पर लात पड़ रही है।
जहाँ तक लाल्लुक तालिबान का है वह मनोरंजक का पेशा करने वाले को पहले लातों से पीटता, फिर पत्थर मरता है अंत में गर्दन काट देता है। जैसा कि पिछले दिनों मशहूर अफगानी कमेडियन के साथ किया गया।
भारत का सेकुलर जब मुसलमान का मामला आता है या तो वह मौन हो जाता है या ऊलजलूल की दलील देने लगता है। अफगानिस्तान के हालात से इन्हें सबक नहीं मिल रही है तालिबान,अलकायदा,हक्कानी नेटवर्क, isis कौन सही दाबेदार है और कुरान तथा अल्लाह का रहगुजर है।
पाकिस्तान चाहता है कि तालिबान गुट अब्दुल गनी बरादर अफगानिस्तान की सरकार का नेतृत्व न कर हक्कानी नेटवर्क करें। हक्कनी नेटवर्क पर पाकिस्तान का पूरा नियंत्रण है।उसके लिए बाकायदा ISI चीफ अफगानिस्तान पहुँचे है, जिससे दो बार विफल हुए सरकार गठन का काम पूरा किया जा सके। मीडिया चैनल पंजशीर लाइव ने दावा किया है कि हक्कनी नेटवर्क और तालिबान में नेता को लेकर हुए विवाद में गोली चलने से बरादर घायल हो गया है।
हिन्द के मुस्लिममीन की तरफ से मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तालिबान का इस्तकबाल किया है उन्हें स्वतंत्रता की लड़ाई जीतने की बधाई दी है। भारत का मुस्लिम मजबूरी में भारत में रुका है क्योंकि 99% से ज्यादा मुस्लिम वोटिंग में अपना मत जिन्ना की लीग को दिया था। हिन्दू कितना मुस्लिम को सम्मान दे ले, लेकिन वह हिन्द की भूमि को मादरे वतन नहीं मानता। भारत को कुफ्र कहता है। भारत के मुसलमान के नाम,पहनावे,खान- पान में अरबी और मध्य एशिया की नकल है।
भारत के मौलवियों को चीन द्वारा उईगुर मुसलमानों का शोषण नहीं दिखाई पड़ता है उसे गुजरात दंगा , 370 और NRC की बहुत पीड़ा है। भारत के पड़ोसी मुस्लिम देश पाकिस्तान,बंगलादेश, अफगानिस्तान, मालदीव का मुसलमान भारत में शरण चाहता है जबकि भारत मे रहने वाला मुसलमान डरा हुआ है। ऐसा क्यों है? न सेकुलर न मौलवी इसका उत्तर दे पाता है।
भारत में एक नया चलन चला है कल तक सेकुलर हिंदु आज सेकुलर सनातनी बन गया है वह श्री राममन्दिर के निर्माण का श्रेय कोर्ट को देता है। पूर्व सरकारों में यही कोर्ट थी तब निर्णय को नहीं ले लिया। सेकुलर सनातनी के तरह तरह के प्रश्न है यह शुद्ध नहीं या सही नहीं है। RSS मुस्लिमों को बढ़ा रही है वही भारत से लेकर पाकिस्तान और बांग्लादेश के मुस्लिम अपने धर्म में RSS जैसा संगठन और मोदी जैसा नेता चाहता है।
भारत का मुस्लिम अभी 1000 वर्ष बाद भी भारत के विरोध में रहेगा जबतक भारत दारुल हर्ब से दारुल इस्लाम न हो जाये। कुछ अपने को प्रगतिशील कहते है सिर्फ हिन्दू धर्म को गाली देने और मखौल उड़ाने के लिए।
भारत में मुस्लिम न शांत रहा है न शांत रहेगा। बल्कि देश हिंदुओं का है कदम तुम्हें उठाने होंगे ,सोचिये कल अफगानिस्तान और पाकिस्तान की स्थिति भारत में हो जाये तब हिंदुओं को कौन देश शरण देगा नेपाल?
राष्ट्र की सुरक्षा के लिए गद्दारों को चिन्हित करके उन्हें देश से बाहर निकलना और उन्हें मृत्युदंड देना ही होगा। ज्यादा उदारता का परिणाम है अब्दुल और हसन के 13-13 बच्चें होकर सभी छोटे आर्थिक उपक्रम पर कब्जा जमाये है। भारत के संसाधनों को चट कर जा रहे है। ट्रेन से लेकर बस में मारामारी बनी है।
नाम अब्दुल मेरा मैं बूट पालिश करता हूं… आंख खोलिए सेकुलर के चक्कर में , उस विदेशी औरत की पार्टी के लिए यह देश छोड़ कर भागना न पड़ जाएं। शरण के लिए तुम्हारें पास यह हिन्द महासागर होगा,जिसमें डूब मरना पड़ेगा।
धर्म के मर्म को न समझने वाले हिंदुओं पूरे विश्व में आज तक के युद्ध के पीछे धर्म रहा है सिर्फ सनातन धर्म अन्य लोगों सताने को पाप कहता है मुस्लिम और ईसाई मजहबियों की संख्या बढ़ाने से जन्नत में सीट रिजर्व कर लेता है उसके लिए चाहे वह तलवार का प्रयोग करें, धन का करे या बम का, सब जायज है।
सन्त और कुँवारी मां♀
एक बार एक गांव में एक सन्त आये झोपड़ी बना कर रहने लगे। सन्त को प्रपंच से क्या मतलब वह अपनी साधना में रमे रहते थे।
गांव वालों ने जब सन्त को देखा ,पूरे गांव में कौतूहल का विषय सन्त बन गये। लोग कहने लगे बहुत पहुँचे हुए महात्मा है किसी से कोई मतलब नहीं रखते वह अपनी धुन में मस्त है। गांवों वालों ने सन्त का खूब आदर सत्कार किया। सन्त बिल्कुल शांत थे गांव वालों के आदर सत्कार का उनके ऊपर कोई प्रभाव न हुआ।
सन्त की झोपड़ी पर भीड़ रहती आरती करने वालो की संख्या बहुत बढ़ गयी संत की खूब वाहवाही होती । सन्त उस गांव में लगभग छ: माह तक रहे फिर अन्यत्र यात्रा पर चले गये। उनकी झोपड़ी वही रह गयी।
गांव में इसी बीच एक कुँवारी कन्या को बच्चा हो गया। जब लोगों ने पूछा बच्चा किसका है लड़की ने उसी सन्त का बता दिया। गांव वाले संत के ऊपर बहुत क्रोधित हुये, उनके झोपड़े को जला दिया।
कुछ दिन बाद सन्त आकर फिर झोपड़े को ठीक कर अपनी साधना करने लगे। जब गांव वालों की इसकी जानकारी हुई सब उन्हें मारने के लिए लाठी ठंडे लेकर उनकी कुटी पर पहुँचे। सब कहने लगे इस पाखंडी को मारों। इतने में गांव के एक वृद्ध व्यक्ति ने कहा मारने से समस्या का हल नहीं होगा।
समस्या यह छोटा बच्चा है बच्चे को इस पापी,पाखंडी को बच्चा सौंप दो इसका यह पालन पोषण करें तब इसे अपने किये पाप का एहसास होगा।
सन्त अभी भी मौन थे गांव वाले बच्चें को कुटी पर छोड़कर चले गये। सन्त बच्चें की रोने की आवाज सुनकर उठे और बच्चें को लेकर गांव की तरफ चल दिये। वह घर -घर बच्चें के लिए दूध मांग रहे थे कोई उन्हें दूध नहीं देता, अलबत्ता गाली देता राम राम पापी पाप लेकर द्वार पर आ गया है उन्हें देखते ही किवाड़ बन्द कर ले रहे थे।
ऐसे में सन्त उस बच्चें को लेकर उस घर पहुँचे जिस घर का बच्चा था सन्त ने कहा माँ मेरे बच्चें को थोड़ा दूध दे दीजिये भूखा है रो रहा है। जिस कन्या का बच्चा था बच्चें का रुदन सुन कर उसका मातृत्व जागृत हो उठा। उसने बच्चें को गोदी में उठा लिया सन्त के पैरों में गिर कर क्षमा मांगी । बाबा मुझे अपने प्रेमी की जान बचाने के लिए आप का नाम ले लिया मुझे क्या पता था आप आ जाएंगे।
गांव वाले जब बच्चें की असलित जाने फिर क्या सब लोग मिल कर गाजे बाजे के साथ बाबा की झोपड़ी पर क्षमा मांगने, उनका आदर करने पहुँचे। सन्त अब भी मौन थे। पूजन कीर्तन गांव वालों का फिर शुरू हो गया।
गांव के एक वृद्ध ने सन्त से कहा बाबा आप अब भी मौन है कुछ कहिये। बाबा बच्चा यह लोग भाव में है इनका भाव किया सम्मान कर लिया भाव बदला अपमान। इन पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है। मेरा ध्येय अलग है यदि प्रपंच,मान, अपमान,सम्मान की इच्छा ही होती तो सन्त क्यों बनते।
लोग अपनी तरह के है उनका कुछ हित दिखा जयकारा लगाने लगते है थोड़ा नुकसान हुआ कि गाली, मारपीट पर उतारू हो जाते है। क्योंकि भावना में है इस लिए समझ नहीं रहे है आखिर वह क्या कर रहे है उनका आचरण किस प्रकार का है।
हे मनुष्य ईश्वर ने आप को विवेक दिया उसका प्रयोग करिये। भावना में किसी को अच्छा या बुरा न बनाइये। गुरु सदा जानकर ही बनाएं। स्वार्थ की पतंग न उड़ाये।
उदारीकरण के बाद मोबाइल का प्रचलन एक चमत्कार से कम न था एक समय था मोबाइल भीड़ में बज जाये लोग देखने लगते थे। मोबाइल अच्छी स्टेटस का प्रतीक था। वैसे देखा जाय तो पहले से फोन था किंतु सबसे बड़ा परिवर्तन मोबाइल लेकर आया।
मोबाइल के प्रचलन से अन्तर्देशी,चिट्ठी (पत्र या पाती),टार्च,घड़ी,रेडियों, कैल्कुलेटर,कैंपस के साथ दो लोगों के बीच के इंतजार को खत्म कर दिया । किसी को कुछ सामान किसी माध्यम से पहुँचाना होता तो लोग बता देते फला ट्रेन से इस नाम के व्यक्ति जा रहे है इस कलर का कपड़ा पहने है आप उनसे स्टेशन पर इस जगह मिल लेना।
मोबाइल ने सम्बन्धों में खलल डाल दिया है। आप को लगेगा कि कैसे देखिये मनुष्य में क्रोध और राग दोनों है । मान लीजिए दो लोगों किसी बात पर अनबन हो गयी या किसी बात से नाराज है एक काल करके गुस्सा करने से सम्बन्ध खत्म।
कितने शराबी है पीने के बाद काल किये फिर क्या रिश्ता टूट गया क्योंकि शराबी है तो बहक जाता है। पहले जब मोबाइल नहीं था पति के परिवार के रिश्ते आज की तरह बिखरे नहीं थे क्योंकि माता अपनी पुत्री को ससुराल में, घर से कोचिंग नहीं दे पाती थी।
दो लोग क्रोध में आमने सामने होते तभी रिश्ता टूटता लेकिन मोबाइल ने दूरी कम कर दी है। रिश्ते से मिठास वैसे भी कम होती जा रही थी मोबाईल उसे और सहयोग दे रहा है।
मोबाइल ने TV को युवा वर्ग में लगभग खत्म कर दिया है। मोबाइल के साथ इंटरनेट की दुनिया के कारण पास बैठे सहयात्री से पहले गपशप होती थी वह अब मोबाइल पर मुस्करा रहा।
एक और चीज मोबाइल ने खूब बढ़ाया प्यार का खेल अरे वही GF/BF वाला। मोबाइल पूरी वर्चुअल दुनिया बना ली है। अधिकांश लोगों का अधिकांश समय यही खा जा रहा है।
तरह तरह के मोबाइल गेम बच्चों को लोगों की तरफ़ इनट्रैक्ट नहीं करने दे रहा है आउटडोर गेम में उसकी दिलचस्पी नहीं रह गयी है।
मोबाइल ज्यादा देर रोज चलाने में कंधे में दर्द,आंख में दर्द,चिड़चिड़ापन, देर से सोकर उठाना और डिप्रेशन आम बात हो चुकी है। कुछ भी चीज वायरल कर लोगों की निजता भंग की जा रही है। पोर्न मूवी किंचित कोई मोबाइल यूजर हो जिसने न देखा हो।
छोटे मोटे प्रोग्राम में लोग इतना मोबाइल से फोटो खींचने लगते है कि सही वाला फोटोग्राफर को भी फोटो लेने में दिक्कत होती है। मोबाइल यूजर से पूछिए क्यों बे तुमको क्या जरूरत है किसी के प्रोग्राम में मोबाइल चमकाने की।
मोबाइल का लाभ निश्चित रूप से है लेकिन इसका सही प्रयोग न होने से प्रयोगकर्मी को नुकसान हो रहा है। लोग एक दूसरे से बहुत बात करते थे वह मोबाइल के दौर में थम गया है।
अमेरिका अफगानिस्तान से तालिबान से समझौता करने वापस जा रहा है तालिबान बहुत तेजी से शहरों पर नियंत्रण स्थापित करते जा रहा है। एक बार पुनः अफगानिस्तान को आतंक वादियों के सौंपा जा रहा है। सवाल यह है कि अमेरिका इतना लंबा अभियान, जिसे 2001 में शुरू किया गया था वह अचानक कैसे खत्म हो गया।
2008 में बराक ओबामा के राष्ट्रपति बनते उन पर भी अमेरिका सैनिकों को अफगानिस्तान से हटाने का दबाव के बावजूद उन्होंने अभियान जारी रखा। डोनाल्ड ट्रंप अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिक बनाएं रखने के पक्षधर थे। राष्ट्रपति वाइडेन घरेलू दबाव में आकर अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी का कदम बहुत बड़ी गलती साबित होगा।
भारत में अफगानी राजदूत फरीद मंमुडगे ने बड़े विश्वास के साथ कहा है कि भविष्य में भारत को अफगानिस्तान की तालिबान के खिलाफ सैनिक मदद करनी होगी।
अमेरिका को जब अफगानिस्तान नीति में फायदा कम नुकसान ज्यादा नजर आया तो गुड टेरिरिज्म और बैड टेरिरिज्म की बात करने लगे। आखिरकार तालिबानियों से समझौता करके सैनिक वापसी तक पहुँच गये। जबकि पूर्व राष्ट्रपति जार्ज डब्लू बुश कह रहे है कि अमेरिका का खतरनाक कदम है जोकि अफगानिस्तानियों को क्रूर तालिबानियों के चंगुल में छोड़ना ।
सबसे ज्यादा चिंताजनक स्थिति भारत के लिए है अभी तक कि अफगान सरकार भारत की मित्र रही है वही तालिबान का नाम कंधार विमान अपहरण में जुड़ा हुआ है विमान को हाईजैक करके कंधार ले जाया गया था।
भारत की सीमा पर पुनः आतंकवाद की खेती शुरू होगी। पाकिस्तान की ISI और तालिबान के रिश्ता बहुत पुराना है। अफगानिस्तान में चुनी सरकार और आम नागरिक के लिए बहुत कठिन समय है पुनः शरिया शासन का दौर चलेगा। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री ने भारत के विदेशमंत्री यस जयशंकर से अपनी चिंता व्यक्त की है। आतंकवाद का एक ट्रायंगल बनता नजर आ रहा है ISI ,तालिबान और ISIS का। अमेरिका और भारत की अपेक्षा यहाँ चीन जरूर लाभ की स्थिति में रहेगा।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अफगानिस्तान में तालिबान के शासन की वकालत कर रहे है। खैबर पख्तून के सांसद का कहना है कि अफगानिस्तान में पाकिस्तान पूरा इंट्रेस्ट है क्योंकि इमरान खान चाहते है चुनी सरकार न रहे है आतंक और शरिया लौटे यह अल्लाह की मर्जी है।
विश्व राजनीति में कब परिवर्तन हो जाये यह महाशक्तियों के स्वार्थ तय करते है। भारत की स्थिति यह है कि वह चाह कर भी अफगानिस्तान की लोकतांत्रिक सरकार की मदद नहीं कर सकते है जिस तरह से वह म्यामांर में आन शान सूकी की चुनी सरकार को नहीं कर पाएं ।
भारत को अपनी विदेश नीति में परिवर्तन लाना होगा यदि वह महाशक्ति बनना चाहते है। पड़ोसी देश की अस्थिरता से भारत पर प्रभाव पड़ता है जिसका उदाहरण बंगलादेश,नेपाल,अफगानिस्तान और म्यामांर है वहाँ से शरणार्थी अच्छी तादाद में भारत का रुख करते है। भारत अपने हितों के लिए सक्रिय भूमिका निभाएं। अपने मित्रों को पड़ोसी देश में हर तरह की मदद मुहैया करें।
भारत की स्थिति विश्व अखाड़े में उस पहलवान की तरह है जो लगोंट बार-बार टाइट करता है किंतु अखाड़े में नहीं उतरता। चीन जीते या अमेरिका इससे भारत की स्थिति कोई परिवर्तन नहीं होगा। क्योंकि वह आखड़े में उतारा ही नहीं। भारत ने गुट निरपेक्ष की नीति का कब का त्याग कर दिया है।
भारत को अमेरिका के दबाव में तालिबानी पीस डेलिगेशन से नहीं मिलना था। 2001 में अमेरिका ने भारत से पूछकर अफगानिस्तान नहीं आया था यह स्मरण रहना चाहिए। अफगानिस्तान में भारत द्वारा किया गया इन्वेस्टमेंट बेकार हो जायेगा। वैसे भी भारत ने अपने प्रतिनिधियों को वापस बुला रहा है। भारत किंचित भूल गया है कि युद्ध से वीरों के भाग्य बदलते है।
कुटिनीति, विदेशनीति अपने देश को लाभ पहुँचाने की होनी चाहिए। कृष्ण और चाणक्य के देश शांति और युद्ध का विकल्प सदा रहना चाहिए।
भारत का जोर सक्रिय विरोध का होना चाहिए ,जरूरत पड़ने पर सेना का प्रयोग हो। नहीं तो भारत के समुद्री क्षेत्र में चीन जैसे देश मल तो अमेरिका जैसे देश युद्धाभ्यास करके चले जायेगें। हम दर्शक बने रहोगें। सिर्फ लंगोटा बांधने से पहलवान नहीं बन जाओगे उसके लिए आखड़े में उतरना होता है।