श्रीराममंदिर और बाबरी विवाद

सुप्रीमकोर्ट के निर्णय पर 5 अगस्त से मंदिर निर्माण कार्य प्रारंभ होगा। इसी श्रीराम मंदिर के लिए हिंदुओ ने पिछले 500 वर्ष तक संघर्ष किया । कुल 36 युद्ध लड़े जिसमें लगभग 1 लाख से अधिक हिन्दु वीरगति को प्राप्त हुये।

मंदिर के इतिहास में हिंदुओं के रक्त से कई बार अयोध्या लाल हुई है आखिर बार 1990 में मुलायम सिंह द्वारा कारसेवकों पर गोली चलवा कर लाल किया था, यह गोली जमीन से लेकर हवा में हेलीकॉप्टर से चलायी गई। हिन्दू जमीन पर खून से लथपथ जरूर गिरा लेकिन उसकी दृढ़ता खड़ी रही है जो अब साकार हो रही है।
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सुप्रीमकोर्ट में मुस्लिम पक्षकार ने कहा राम चबूतरा था, फिर कहा नहीं था। बाबरी ढांचे के लिए पक्षकार ने कहा कि यह ईदगाह पर बनी थी अगले दिन कहा कि यह समतल मैदान पर बनी थी। कोर्ट में बाबरी पक्षकार सिर्फ खीझ दिखाते रहे ,सबूत कपोल-कल्पित ही रहे। अयोध्या से मुस्लिम का क्या काम वह तो विवाद के लिए था।

कोर्ट में कहा गया कि बाबर ने कोई मंदिर नहीं तोड़ा था। जिस जगह बाबरी ढांचा खड़ा था उस जगह से हिंदुओं का कोई सर्वकार नहीं है।
1949 गर्भगृह में रामलला के प्राकट्य से स्पष्ट हो गया कि रामजी की जन्मभूमि यही है। जिसका सबूत उस समय तैनात मुस्लिम सिपाही ने भी दिया।
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स्वतंत्रता के बाद सत्ता काले अंग्रेज को मिली, जिसकी धर्म में आस्था नहीं थी वह अंग्रेजों को लम्बरदारी में गर्व महसूस करता था।

जब देश का बटवारा धर्म के आधार पर होगया तो मुस्लिम को देश में रोकने औचित्य नहीं रह जाता। सेकुलरिज्म का छद्म विचार धारण करने की क्या जरूरत थी ? सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इस्लाम का सम्बंध अयोध्या,मथुरा,काशी,
उज्जयनी,सोमनाथ से क्या था ?

इतिहास में दर्ज बर्बर मुस्लिमों के आक्रमण जिसमे मंदिर तोड़े गये महिलाओं की अस्मत को तार-तार किया गया। इसके बाबजूद पूरे मध्यकालीन इतिहास में अरबी,गुलाम,मुगल ही हावी रहे है उनके चरित्र को गढ़ने में सेकुलरिज्म शासन और इतिहासकार की महती भूमिका रही है।


तुर्की की 1500 साल पुरानी हागिया सोफिया जो मूलरूप से चर्च था मस्जिद बना , लाइब्रेरी अब पुनः मस्जिद बना दिया गया। यह है इस्लामिक देशों की हकीकत, मुस्लिम की सेकुलरिज्म अब कहा गयी। इसी तुर्की के खलीफा के लिए 1920 में खिलाफत आंदोलन भारतीय मुस्लिम ने चलाया था । यह दूसरे के मंदिर ,चर्च में मीनार बना और थोड़ा बहुत परिवर्तन करके इसे अल्लाह के इबादत का स्थल घोषित कर लेते है।

इराक के पूर्व मुस्लिम तानाशाह सद्दाम हुसैन ने कहा था कि जहाँ तक मैं जानता हूँ भारत के ईमाम,अल्लाह ‘राम’ है जो करोड़ों हिंदुओं की आस्था के केंद्र है भारतीय मुस्लिम रामजन्मभूमि पर नाहक विवाद पैदा कर रहा है। जो कुरान के रास्ते से भी अलग है। कुरान कहती है कि विवादित स्थल पर की गयी इबादत को अल्लाह स्वीकार नहीं करता है।

भारत का मुस्लिम सेकुलरिज्म का हिमायती है वह भी हिन्दू कीमत पर। यदि सेकुलरिज्म और भाई चारे की उसे जरा भी परवाह होती तो वह गलती स्वीकार करता और बड़ा ह्रदय दिखाकर अयोध्या,मथुरा ,काशी आदि पर अपना दावा छोड़ देता।
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सुप्रीमकोर्ट ने जो निर्णय दिया उसमें पांच न्यायाधीश में एक मुस्लिम अब्दुल नजीर थे जिन्होंने भी सर्वसहमति से अपना मत भी हिंदुओं के मंदिर के पक्ष में दिया।

2003 के विवादित स्थल से खुदाई करा के पुरातत्वविदों द्वारा इकट्ठा किये गए अवशेष भी मंदिर की पुष्टि की है।

सुप्रीमकोर्ट के निर्णय के बाद भूमि के स्थलीकरण में पुरातात्विक अवशेष जिसमें हिंदु स्थापत्यकला निर्माण जिसमें कमलपुष्प,आमलक,9 फीट शिवलिंग के मिलने से रोमिला थापर, हबीब जैसे इतिहासकरो कि हकीकत को उजागर करते हुए मंदिर होने के साक्ष्य की पुष्टि की।
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राममंदिर का बनना वामपंथियों की सबसे बड़ी पराजय है। वह मुस्लिम पक्ष की जगह बौद्ध तथ्य को इसमें शामिल करने का प्रयास किया। साकेत नगरी,सम्राट अशोक के स्तंभ से शिवलिंग की साम्यता आदि-आदि। कुछ नहीं मिला तो तिथि विवाद,करोना गाइडलाइंस पर सुप्रीम दौड़े जहाँ से भगा दिया गया।

वास्तविकता भारतीय मुस्लिमों को भी पता है बाबरी की, किन्तु वह कोई सेकुलर नहीं है यह एक मजहबी कट्टरपंथी समुदाय है जिसमें मौलवियों ने कह दिया, वही इस्लामिक आईन बन जाता है।

यदि विवाद को खत्म किया जाना होता तो जिस समय देश को स्वतंत्रता मिली, देश धर्म के नाम पर बट चुका था । इस्लाम के पैरोकार मार-काट, दंगो पर आधारित रक्तरंजित पाकिस्तान ले चुके थे। उसी समय अयोध्या,मथुरा,काशी मंदिर का प्रस्ताव संसद में पास कर , बना दिया जाता।
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सेकुलरिज्म के हिमायती सोमनाथ मंदिर बनने का विरोध कर रहे थे वह कैसे अयोध्या,
काशी और मथुरा की पैरवी करते । विवाद जिंदा था मुस्लिम थोक वोट कांग्रेस की झोली में था। परिवार को पीढ़ी दर पीढ़ी चांदी की चम्मच में प्रधानमंत्री पद से बेहतर क्या मिलता?

जिन्होंने सरकारी इतिहासकारों को “राम” को ही काल्पनिक बनाने पर लगा दिया। जैसा कि मनमोहन सरकार सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा लगाया कि राम काल्पनिक पात्र हैँ।

स्वतंत्रता के बाद मुस्लिम से ज्यादा, शासन व्यवस्था मंदिर नहीं बनने देने के पक्ष में रही है ।
राजीव सरकार शाहबानों मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को पलटकर हिन्दु तुष्टिकरण में अयोध्या में ताला खुलवाया था। साफ्ट हिंदुत्व के मसीहा बनने की जोड़ में नरसिंहाराव ने विवादित स्थल को कारसेवकों द्वारा गिराने में बाधा नहीं बने । जबकि पूरी कांग्रेस सरकार इसके खिलाफ थी। इसी कारण सोनिया गांधी ने कभी नरसिंहा राव को माफ नहीं किया।
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लड़की वाला और जनता मूर्ख लगती है पर होती नहीं है। उसे बेहतरी पता होती है। 80% हिन्दुओं वाले देश में स्वतंत्रता के बाद मंदिर निर्माण के लिए कोर्ट के निर्णय का इंतजार किया गया। न कि पाकिस्तान की तरह , राजधानी इस्लामाबाद में बन रहे पहले कृष्ण मंदिर को सरकार ने मौलवियों के दबाव से बनाना कैंसिल कर दिया। जिसकी दीवार को मौलवी प्रेरित लोगों ने गिरा दिया। यह होता है बहुसंख्यक।

भारत में सेकुलरिज्म सत्ता का फंडा रहा है जिसकी हिमायत सब करते है किंतु संविधान इसकी स्वीकारोक्ति नहीं देता । इंदिरा ने इमरजेंसी के समय 1975 में सेकुलरिज्म शब्द को घुसा दिया। धर्म की गुणा- गणित की राजनीति चालू है।

बाबरी ढांचे के इतिहास की धूल लिए कभी शौचालय,धर्मशाला ,हॉस्पिटल के हिमायती आज मंदिर विचार के इर्द गिर्द जमा हो रहे है।
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6 thoughts on “श्रीराममंदिर और बाबरी विवाद

  1. कहीं पूजन कहीं सूजन

    पटल पूरा राममय कर दिए भाई जी आप ….जबरदस्त

    जय श्री राम🌼❤😊

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  2. श्री राम हमारे आदर्श पुरुष हैं जिन्हीने सारे दुख उठाकर प्राण जाए पर वचन ना जाए का उदाहरण दिया ।उनके कर्मों में केवल श्रद्धा थी। आज गर उनका जन्मस्थल में मन्दिर बन रहा है तो केवल श्रद्धा बनी रहे हम दूसरों को बुरा बता कर हिंदुओं की सनातनी धर्म भक्ति की गरिमा कम करते हैं। मनमंदिर को शांत करके मन्दिर में प्रवेश करें और सभी धर्म के लोगों को आमंत्रित करें तो बहुत उच्चकोटि की पूजा होगी जिसमे रामजी का आदर्शवाद होगा।लेकिन सियासी चाल श्रद्धा कम दिखावा अधिक करती है ।इस locked down period में जहां कई लोग अपने सगों की मृत्यु पर या विवाह जन्म पर नही जा पाए।मोदी सरकार के नियमानुसार 65 साल से ऊपर वालों को घर में रहने के आदेश थे आज मोदीजी स्वयं नियम तोड़ कर 69 से ऊपर स्वयं की आयु 93 आडवाणी औरभी अधिकतर 80 के होकर राम मंदिर जा रहे हैं ।नियम बनाने वाले ही नियम तोड़ेंगे।अच्छा होता जैसे बच्चे स्कूल ना जा सकने पर ऑनलाइन पढ़ रहे हैं वैसे ही मोदीजी को ओं लाइन उद्घाटन करना चाहिए । 🙏

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    1. श्री राममंदिर बनने से इष्ट का आगमन है यह प्रस्थानविंदु होगा जहां से भारत विश्व के लिए नई इबादत लिखेगा। मानसिक परतंत्र लोगों कुछ संस्कार और स्वतंत्रता आ सके। कोरोना गाइडलाइंस सही है लेकिन यही PM न जाते तब भी आलोचना होती है दूसरे 500 वर्षों का संघर्ष,लाखों हिंदुओं का बलिदान हुआ है जिसका इतिहास बहुत लंबा है।
      लोकतंत्र है जो दिखता है वही बिकता है यह बहुत बड़ा महोत्सव है 🙏

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