मोदी की लोकप्रियता

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आखिर नरेंद्र मोदी लोगों में इतने लोकप्रिय क्यों हो गये है ताली-थाली से लेकर 15 अगस्त की तिरंगा यात्रा तक। वह जो कहते है जनता खुले ह्रदय से करती है सिवा कुछ पार्टी कैडर या कुछ धुर जातिवादी,मजहबवादी को कोड़कर।

तिरंगा यात्रा पर झंडे की बिक्री से लेकर अगले दिन सड़क पर पाये जाने का … इस पर विरोधियों ने तरह तरह का तर्क दिया ,किसे ने संवैधानिक व्याख्या कर इसे गलत बताया। उलाहना पर उलाहना किन्तु जनता के बीच मोदी लगातार लोकप्रियता बढ़ाते जा रहे है। विपक्षियों के लिए यह सिरदर्द है । उन्हें करना क्या था अपनी गलती मान कर नकारात्मक राजनीति की जगह सकारात्मक राजनीति करनी थी जिससे जनता में उन्हे लेकर विश्वास जगे।

विपक्षी राजनीतिक पार्टियां नीतिगत आलोचना की जगह विरोध के लिए नीतियों का विरोध कर रही है उनके पास कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है।

हिंदुत्व का विरोध

राम का विरोध

मन्दिर का विरोध

हिन्दुराष्ट्र का विरोध

जनसंख्या नियंत्रण और सामान नागरिक संहिता बिना आये विरोध

370 हटाने का,NRC लागू करने,तीन तलाक आदि का विरोध

यह पब्लिक है सब जानती है कौन नेता कैसा है वह विपक्षी विरोध के मंसूबे को जान रही है।

विपक्षी कुछ और भ्रम फैलता है एक महंगाई बहुत है और दूसरा चीन से मोदी डरता है। विपक्ष के कुतर्क और देश विरोधियों के साथ खड़े होने से जनता में एक बात बैठ गयी कि मोदी सही नेता है देश मजबूत हाथों में है।

आजादी के 75वे वर्ष का अमृत उत्सव देखने के लिए सुदूर किसी गांव जाइये आप को तिरंगा लगा मिलेगा । अनुमान लगाइये मोदी में ऐसा क्या है कि एक अपील जनता उसे हाथों हाथ लेती है। दीपोत्सव, ताली थाली से तिरंगा तक। एक बात और इस 15 अगस्त को ऐसा लगा मानो कल ही भारत आजाद हुआ है।

मेरी दिव्य यात्राका पड़ाव_पंढ़रपुर

🌻🌻 गांगेय

पिछले वर्ष अप्रैल के लास्ट में मुझे कोरोना हुआ जो दवा से न गया आखिर हॉस्पिटल जाने से बस समझिये प्राण बच गये। कोरोना का वह 20 दिन बहुत उबाऊ था। लग रहा था मर क्यों नहीं जाते है। खैर जीवन शेष था अब तक जारी है।

कोरोना के दौरान मई के महीने में एक दिन रात स्वप्न में विट्ठल भगवान की नगरी पंढरपुर दिखाई पड़ी। उसी दिन से स्वास्थ्य में सुधार होने लगा। अब एक नई यात्रा पर जाने का समय आ गया था। जुलाई महीने में भगवान विट्ठल की नगरी पंढरपुर कि यात्रा मानो जीवन का अभिन्न अंग बन गई । हम इसे ईश्वरीय प्रेरणा मानते है कि 24 जुलाई को पुणे नगरी पहुँच गये।

महाराष्ट्र का पुणे नगर महाराज शिवाजी और श्रीमंत पेशवा की राजधानी के लिए प्रसिद्ध है। इसे महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी कहते है। नगर बहुत खूबसूरत होने के साथ ही इसका मौसम बहुत सुहावना रहता है रात होते होते गुलाबी ठंड हो जाती है।

पुणे का प्राकृतिक नजारा बहुत मनोरम है। शनिवार वाड़ा आज भी पुराने मराठा शूरवीरों की गाथा समेटे है। सतारा के किले में श्रीमंत बाजीराव पेशवा ने छत्रपति के सन्मुख कहा था,जब छत्रपति ने पूछा था कि क्या योग्यता है आपकी और क्या कर सकते है राष्ट्र और हिंदुपाद शाही के लिए । श्रीमंत बाजीराव की उम्र उन्नीस थी बामुश्किल 5 फिट लम्बाई, एक छलांग में घोड़े पर बैठते हुए कहा कि मराठा पताका “कटक से लेकर अटक तक फहरानी है”। छत्रपति ने कहा कि आप योग्य पिता की योग्य संतान है। आप जरूर मराठा को आगे ले जायेंगे।

श्रीमंत पेशवा ने इसी शनिवार वाडे से मराठा साम्राज्य की नींव को बहुत विस्तार दिया। 37 युद्ध में उन्होंने मुगल,पुर्तगाली,निजाम आदि को पराजित किया।

पुणे नगर मराठा की छाप खासकर श्रीमंत पेशवाओं का प्रभाव दिखता है। यह नगर हिंदुपादशाही का गवाह बना। मुस्लिम शासकों और मुगलों को चुनौती भर नहीं दिया अपितु पेंशन भी दिया गया।

पुणे महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी है यही संत ज्ञानदेव, तुकाराम की यह स्थली है जिनका प्रभाव महाराष्ट्र के जनमानस पर पड़ा। इसी प्रभाव के कारण महाराष्ट्र में भक्ति के साथ राष्ट्र और स्वतंत्रता स्वराज मानसपटल पर उभरे। जिसके प्रणय गीतकार शिवाजी महाराज बने। छत्रपति के पेशवाओं ने कमाल कर दिया दक्कन से लेकर दिल्ली और अटक तक चौथ और सरदेशमुखी वसूल की।

पुणे में शनिवार वाड़ा देखने पर मन में कौतूहल जागरित हुआ कि काश श्रीमंत पेशवा बाजीराव कुछ दिन और जी गये होते, भारत में अंग्रेज की बारी ही न आ पाती। मुगल से सीधा शासन हिंदुओं के पास आ जाता। इतिहास में किन्तु-परन्तु को डगर नहीं है। इतना तो तय मानिये की पूर्व में हम भी छत्रपति की सेना के दत्तोपंत, मोरोपंत न सही एक सैनिक जरूर रहे होंगे।

गणेश जी का मन्दिर दगडू सेठ के दर्शन के पश्चात भगवान विट्ठल की नगरी पंढरपुर पहुँचे। सुबह 5 बजे का समय था गुनगुनी ठंड लिए हुए ,पहला काम चंद्रभागा में स्नान किया।भीमा नदी पंढरपुर में चंद्राकार होने के कारण चंद्रभागा कही जाती है।

नदी के बिल्कुल तट से लगा हुआ भक्त पुण्डरीक का मन्दिर है यहाँ मान्यता है कि पहले भक्त पुण्डरीक के, पश्चात भगवान के दर्शन होते है। यह भक्त पुण्डरीक वही है जिन्होंने अपने माता-पिता की सेवा से भगवान को प्रसन्न कर दिया भगवान भक्त के होकर यही रह गये।

भारत मे एक सबसे बड़ी समस्या रही है कि लोग भाई और सम्बन्धी के सामने नहीं झुक सकते उसमें उनका ईगो समस्या करने लगता है जैसा आज भी देख सकते कि व्यक्ति 5000 की प्राइवेट नौकरी कर लेगा किन्तु भाई या सम्बन्धी के सामने न झुकेगा। यही मराठा के साथ हुआ राजपूत,जाट और सिख का सहयोग नहीं मिला वही मुस्लिम नबाब हिन्दू राजा को हराने के लिए दीन के नाम पर एक हो जाते थे।

पुणे महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी है यही संत ज्ञानदेव, तुकाराम की यह स्थली है जिनका प्रभाव महाराष्ट्र के जनमानस पर पड़ा। इसी प्रभाव के कारण महाराष्ट्र में भक्ति के साथ राष्ट्र और स्वराज मानसपटल पर उभरे। जिसके प्रणय गीतकार शिवाजी महाराज बने। छत्रपति के पेशवाओं ने कमाल कर दिया दक्कन से लेकर दिल्ली और अटक तक चौथ और सरदेशमुखी वसूल की।

पुणे में शनिवार वाड़ा देखने पर मन में कौतूहल जागरित हुआ कि काश श्रीमंत पेशवा बाजीराव कुछ दिन और जी गये होते, भारत में अंग्रेज की बारी ही न आ पाती। मुगल से सीधा शासन हिंदुओं के पास आ जाता। इतिहास में किन्तु-परन्तु को डगर नहीं है।

गणेश जी का मन्दिर दगडू सेठ के दर्शन के पश्चात भगवान विट्ठल की नगरी पंढरपुर पहुँचे। सुबह 5 बजे का समय था। पहला काम चंद्रभागा में स्नान , यह चंद्रभागा भीमा नदी ही यहाँ पंढरपुर में चंद्राकार होने के कारण चंद्रभागा कही जाती है।

नदी के बिल्कुल तट से लगा हुआ भक्त पुण्डरीक का मन्दिर है यहाँ मान्यता है कि पहले भक्त पुण्डरीक के पश्चात भगवान के दर्शन होते है। यह भक्त पुण्डरीक वही है जिन्होंने अपने माता-पिता की सेवा से भगवान को प्रसन्न कर दिया भगवान भक्त के होकर यही रह गये।

यहाँ चंद्रभागा का तट बिल्कुल काशी के जैसे मनोरम दिखता है अंतर इतना है कि काशी के सभी घाट पक्के है यहाँ एक ही घाट ही पक्का है किंतु तट उसी तरह लम्बा है। एक चीज गौर करने लायक है भारत में एकरूपता सनातन हिन्दू धर्म के तीर्थो में दिखाई पड़ती है। यही वह तत्व है जो सांस्कृतिक समरूप्य प्रदान करते है। यही नदी तट से लगा रुक्मिणी माता का स्वयंभू मन्दिर है जब भगवान वापस नहीं लौटे ,माता उन्हें देखने के लिए यहाँ आयी। वैसे विट्ठल मन्दिर में माता रुक्मिणी की बहुत सुंदर विग्रह है।

अषाढ़ एकादशी को पूरे महाराष्ट्र से वारि चल कर यहाँ आती है। भक्त वारि (पालकी) पैदल लिए यहाँ पहुँचते है। ज्ञानदेव,नामदेव,एकनाथ और चोखा मेला की भक्ति, कीर्तन परम्परा आज भी जीवित है। महाराट्र के भक्त दर्शन के लिए आते है खूब कीर्तन के साथ नृत्य करते है। यहाँ भक्त भगवान के आगोश में चला जाता है। यहाँ पर “जात पात पूछे न कोई जो हरि का भजै हरि का होई”।। चरितार्थ दिखाई देती है। भक्त की अपरम्पार महिमा है वह ऐसा गुरु है जो आपके चित्त को जगत प्रपंच से जगत के स्वामी की ओर मोड़ देता है।

मन्दिर में दर्शन के पूर्व तीर्थयात्री पहले भक्त चोखामेला की समाधि के दर्शन करते है फिर वही सीढ़ियों पर भक्त नामदेव की समाधि है। विट्ठल की विग्रह अन्य मंदिरों से एक भिन्नता लिए हुए ,विट्ठल भगवान के पादस्पर्श दर्शन ,जोकि भारत के किसी बड़े मन्दिर में नहीं होता है। यह आपको बहुत अलग फील कराता है। मन्दिर के आस पास धर्मशालाओं को देख कर आप को पुनः एक बार काशी की सुधि हो जायेगी। भगवान विट्ठल को महाराष्ट्र का इष्टदेव कहा जाता है यह भारत की विष्णु के अष्ठ पीठ में पांचवें नम्बर पर आता है। कार्तिकी एकादशी, माघी एकादशी, गुड़ीपड़वा, रामनवमी, दशहरा प्रमुख उत्सव है जब मन्दिर में लाखों भक्त पहुँचते है। वारि के समय एक दिन के लिए ऑफिसियल रूप से मुख्यमंत्री भी भगवान के सेवादार बनते है।

आप पंढरपुर आये तो रात्रि विश्राम अवश्य करें जिससे इस नगरी को आप महसूस कर सके।चंद्रभागा में स्नान सुबह 5 बजे करिये यह ध्यान केंद्रित करने में सहयोग करेगा। सूर्योदय बहुत सुंदर होता है भक्ति का यह समय भी शुभ है शाम की आरती की छटा निराली है। आरती में बहुत जोर कि भक्तिभावना प्रकट होती है,मन प्रसन्न हो जाता है पादस्पर्श दर्शन अद्भुत एहसास कराता है।

महाराष्ट्र के गांवों में कुछ विशेष परम्परा दिखाई दी जैसे किसी के मर जाने पर घर परिवार के लोग उन्हें श्रद्धांजलि देते हुये गांव के बाहर पोस्टर लगवा देते है। गांव और हॉट उत्तर की तरह ही है। खाने में जरूर कुछ भिन्नता और ज्यादा तीखा और चटकारेदार है।

पंढरपुर से वापस पूणे आते समय लग रहा अभी दो तीन और रहना चहिए। भगवान जी कह दिए आप चाहेगे तो बार बार आना होगा। यहाँ से द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक “भीमाशंकर” जिन्हें “मोटेश्वर महादेव” कहते है के लिए सुबह-सुबह निकलना हुआ। भीमाशंकर का अर्थ भीम के शंकर। यही भीमा नदी का उदगम है सहराद्रि श्रेणी, यह स्वयंभू ज्योतिलिंग अपने प्राकृतिक मनोरम दृश्यों के कारण विशेष अनुभूति देता है।

कथा मिलती है कि कर्कटी नामक राक्षस के भीम नामक पुत्र ने एक समय इस क्षेत्र पर अधिकार कर लिया था यही राजा कोपेश्वर रहते थे जो शिव भक्ति में अविचल थे उन्ही के राज्य को हड़पकर भीम उन्हें कारागर में डाल दिया राजा कोपेश्वर कारागार में शिवलिंग स्थापित करके भक्ति में लीन रहते जब भीम के अत्याचार से कारागार में भक्त की भक्ति में विघ्न पड़ने लगा तब महादेव का प्राकट्य हुआ उन्होंने भीम का वध किया और यही स्वयंभू रूप में स्थापित हो गये।

मन्दिर का सभमण्डप मराठा नेता नाना फडणवीस द्वारा बनवाया गया है। मन्दिर के सन्मुख रोमन शैली में एक घण्टी लगी हुई है इस घण्टी में जीजस के साथ मदर मैरी की मूर्ति है। यह बाजीराव के पेशवा के भाई चिमाजी अप्पा ने 16 मई 1739 को पुर्तगालियों के खिलाफ युद्ध में विजय के वसई किले पांच घण्टिया लाई। चार को कृष्णा नदी के तट पर स्थित शिवमंदिर वन,ओंकारेश्वर और समलिंग मन्दिर के सामने लगाया।

इस मंदिर पर दैवीय जीवों की जटिल नक्काशी,मानवमूर्ति के साथ प्रतिच्छेदन खम्भे मन्दिर के द्वारा सुशोभित है। पौराणिक कथाओं के दृश्य का अंकन शानदार नक्काशियों में जीवंत पाये जाते है। यही 1.30 वर्ग km आरक्षित वन क्षेत्र है। 1985 में इसे वन्य जीव अभ्यारण्य घोषित किया गया है। यह विश्व प्रसिद्ध पश्चिमी घाट का हिस्सा है इसलिए यह पुष्प और जीवविविधता से समृद्ध है। हनुमान झील,नागफनी,बॉम्बे प्वाइंट,साक्षी विनायक प्रसिद्ध स्थान है। भीमाशंकर के पास देवी कमलना मन्दिर है कमलना को माता पार्वती का अवतार कहा जाता है। यह एक आदिवासी देवी है।

यहाँ पहुँचने पर बारिश शुरू हो गयी पूरी तरह से धुंध छा गयी मौसम बहुत खुशनुमा हो गया। बादलों की गड़गड़ाहट मदहोश कर दे रही थी ऐसा लग रहा था मानो बादलों के बीच में आ गये है।

समसे महत्वपूर्ण बात कोविड के चलते मन्दिर बंद थे किंतु पुलिस भारत की है और मामला भक्त के दर्शन है कुछ भेंट देने के एवज में प्रभु के दर्शन को जाने को मिला।

मन्दिर में दर्शन करने और प्राकृतिक दृश्य देखने और मौसम बिगड़ने के कारण पता चला शाम वाली बस नहीं आयेगी। यदि बस चाहिए तो नीचे पांच किलोमीटर दूर से जायेगी। रुकना उचित इसलिए नहीं था क्योंकि कोविड की वजह से होटल सेवा बंद थी।

आरक्षित वन होकर नीचे आना था अभी कुछ दूर चले ही थी जोरों की बारिश आ गयी, रुक इसलिए नहीं सकते थे कि नीचे बस निकलने के समय से पहले पहुँचना था। एक डर मन में जंगल के जीव-जंतुओं का वारिश तेज थी कोई और आ जा भी नहीं रहा था।

प्यास लगने पर प्राकृतिक झरने से पानी पेटभर पी लिया । इस नैचुरल मिनरल वाटर की कीमत लगाई जाय तो कमसे कम 1000₹ लीटर से कुछ ज्यादा ही आयेगी। पानी का टेस्ट बहुत रीयल था अरे आपके बेसलेरी से कई सौ गुना ज्यादा टेस्टी। वारिश में ठंड लग रही थी प्रयाग के वर्षा में भीगना उतना मजेदार नहीं होता है किन्तु इसमें भीगना बहुत उद्वेलित कर रहा था पूर्णतया प्राकृतिक, इतनी दूर पहाड़ों में भीगना एक सपने से कम न था। भीगे कपड़े बस में जाकर ही बदले। कितना कुछ प्रकृति ने दिया है हम है कि अपने दुश्मन है साथ ही प्रकृति के भी शत्रु है।

पारिवारिक,सामाजिक और राजनीतिक प्रपंच में वास्विकता से दूर अपने को मिक्सअप मनुज बना लिए है। फिर एक बार पुणे लौटे अब अगले दिन महाबलेश्वर जाने की तैयारी करनी थी।

महाबलेश्वर पुणे से कोई 180 km दूर सहराद्रि श्रेणी में एक प्राकृतिक धार्मिक स्थल है यह सतारा जिले में पड़ता है। यह समुद्र तल 4450 फ़ीट की ऊँचाई पर है। लगातार बारिश होती रहती है यह चेरापूंजी के बाद सबसे अधिक वर्षा वाला क्षेत्र है। महाबलेश्वर के पास में ही पंचगनी महाराष्ट्र का हिलस्टेशन है वह अपने स्कूल और फूडप्रसंस्करण के लिए प्रसिद्ध। पूर्व में यह अंग्रेजों के समय महारष्ट्र की गर्मियों की राजधानी हुआ करता था। यह आज भी गर्मियों में महराष्ट्र के राज्यपाल के लिए संरक्षित है।

महाबलेश्वर का शाब्दिक अर्थ है भगवान की महाशक्तियां। महाबलेश्वर को पंच नदियों की भूमि कहा जाता है कृष्णा ,वेन्ना,कोयना,गायत्री,सावित्री। कथा है कि सावित्री ने ब्रह्म,विष्णु और शिव को नदी होने का श्राप दिया। विष्णु कृष्ण नदी ,शिव वेन्ना और ब्रह्मा जी कोयना नदी बने।

यहाँ पर एलफिंस्टन प्वाइंट, लाडविक प्वाइंट,आर्थर सीट,मार्गोरी प्वाइंट,कैसल रॉक,फाकलैंड प्वाइंट,कारनैक प्वाइंट है। विल्सन प्वाइंट यहाँ का सबसे ऊंचा प्वाइंट है जहाँ से सर्वोदय और सूर्यास्त की अद्भुत छटा है। पर्यटक इसे दिखने अवश्य पहुँचते है।

टेबल लैंड एक ज्वालामुखी पर्वतीय पठार है जो समुद्र से लगभग 4500 फ़ीट की ऊँचाई पर स्थित है यह तिब्बती पठार के बाद एशिया का सबसे ऊंचा पठार है। धोबी जलप्रपात का विहंगम दृश्य है इसका जल कोयना नदी में विलीन हो जाता है।

महाबलेश्वर आदि बड़े पहाड़ी धार्मिक स्थल एक समय में ऋषि मुनियों द्वारा खोजा गया था आध्यात्मिक शांति के लिए। जिससे वह सामाजिक शोर से भी बचे रहे । अंग्रेजी शासन में ऐसे बहुत से धार्मिक स्थल की जबरी खोज का टैग लगाया गया है।

सबसे मजेदार बात महाबलेश्वर के लिए यह है कि अंग्रेजों के उपनिवेश रूपी इमारतों को अभी भी उसी हाल में सुरक्षित रखा गया। क्या कारण है? कि आजादी के बाद भी अंग्रेजों के नम्बर प्लेट आज भी बिल्डिंग में लगे है जिन्हें देखकर आपको लगेगा आप भारत में नहीं ब्रिटेन के किसी हिलस्टेशन पर है।

यहाँ का वातावरण बहुत खूबसूरत लगातार बारिश का रहना आपके मन को प्रफुल्लित कर जायेगा ऐसा लगेगा कि धरती के स्वर्ग में आ गये है। प्राकृतिक झरने में नहाने आनंद बहुत अलग है । अलग-अलग जल के स्रोतों मिनरल वाटर पीना बहुत प्रसन्न करता है यह जरूर है कि यहाँ जब तक रहते है पूर्व की चिंता से मुक्त रहते है ।

मुझे लगा मैंने जितने भी तीर्थ और पर्यटन स्थल देखें है उसमें महाबलेश्वर बहुत अद्वितीय और अनुपम है।

महाबलेश्वर से कैब लेकर छत्रपति के महत्वपूर्ण किले “प्रतापगढ़” गये यह सतारा जिले में पड़ता है यह किला इस लिए विशेष है क्योंकि शिवाजी महाराज ने यही अफजल खान का वध किया था किले के पास ही अफजल खान की दरगाह है यहाँ से “जय भवानी जय शिवजी का नारा बुलंद हुआ”।

बीजापुर के आदिलशाह के प्रधानमंत्री पंडित कृष्ण जी भास्कर को शिवाजी महाराज ने हिन्दू के नाम पर गूढ़ जान लिया और उन्हें अपने साथ कर लिया , अफजल खां का मकसद क्या है जानकर उन्होंने अपने बखनख से अफजल खां का काम तमाम कर दिया।

प्रतापगढ प्रकृतिक रूप से एक अभेद किला है यही से शिवाजी राजे की कीर्ति पूरे भारत में फैली। यह किला अपनी ऊँचाई और साथ बनावट के कारण रोमांचित करता है। शिवाजी महाराज एक बार जीवित हो जाते है और पूछते है क्या कर सकते हो हिंदुपादशाही के लिए आप का बरबस मन अपने को टटोलने लगता है।

किले में सबसे ऊँचाई पर भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू छत्रपति की मूर्ति का अनावरण 1957 में किया था। किले को मराठा राष्ट्र कहते थे इसी कारण इसका नाम महाराष्ट्र पड़ा है।

किले पर चढ़ते समय एक मराठी युवान द्वारा जय भवानी जय शिवाजी का उदघोष किया जा रहा था इतनी बुलंद आवाज थी कि लग रहा था युवान का उद्घोष बार बार होता रहे।

राजगढ़,सतारा, लोहागढ़,कोंडाणा फोर्ट देखने की अभिलाषा सिमेटनी पड़ी क्योंकि कोविड प्रोटोकॉल की वजह से बंद थे। महाबलेश्वर जितना आप देखते यह उतना अधिक खूबसूरत लगता है आप के अंर्तमन से आवाज निकलती है कम से कम इसे देखने एक बार और अवश्य आना चाहिए। लौटते समय पुणे की सीधी बस नहीं मिली। लग रहा था आज पुणे पहुँचना नहीं हो पायेगा । चिंता यह थी कि दूसरे दिन ही प्रयाग वापस आना था अभी संत ज्ञानेश्वर और तुकाराम की कर्मभूमि जाना था।

इसे संयोग ही कहेंगे कि महाबलेश्वर से लेकर बस जैसे ही बीच के स्टेशन पर उतारी ही थी कि पता चला कि पुणे के लिए आखिर बस निकलने वाली है। रात 11 बजे पुणे पहुँच गये।

सुबह सुबह आलंदी गाँव के लिए निकले यही संत ज्ञानेश्वर की समाधि है इसकी दूरी पुणे से 35 km है यहाँ के विठोवा मन्दिर का शिखर एक समय में श्रीमंत के शनिवार वाड़े से दिखाई देता था।

संत ज्ञानेश्वर मराठी भाषा में ज्ञानेश्वरी की रचना कर आमजन मानस के विश्वास को ईश्वरभक्ति में दृढ़ किया इनका महाराष्ट्र में वही स्थान है जो कि उत्तर भारत में गोस्वामी तुलसीदास का है।

आलंदी इंद्राणी नदी के तट पर स्थित एक भक्तिनगरी है वह सुरम्य और रमणीक स्थल है । आलंदी का अर्थ है आनंद या भक्ति का स्थल। यहाँ पहुँच कर लगा जैसे ज्ञानदेव और ज्ञानेश्वरी दोनों साक्षात हो गये। यहाँपर अभी भी वह शिला है जिसे अघोरी चंगदेव को प्रतिउत्तर देने के लिए ज्ञानेश्वर जी ने जड़ से चेतन कर दिया। चंगदेव प्रसिद्धि सुनकर ज्ञानेश्वर से मिलने सिंह की सवारी करते आये तभी ज्ञानेश्वर जिस शिला पर बैठे थे उसे ही चलने का आदेश दिया।

विट्ठल भगवान के मन्दिर में भक्त लगातार कीर्तन और नृत्य करते रहते है।

पुणे और यहाँ के तीर्थ से मन नहीं भरा था फिर भी घर वापस लौटना पड़ता है । यहाँ कभी भक्त तो कभी शिवाजी के, कभी श्रीमंत के कभी तन्हाजी मलसुरे के सैनिक मन बन जाता है आलंदी आकर मन पूर्णतया भक्त का बन गया। मन की गति भी बड़ी अजूबी है कभी कुछ तो कभी कुछ बन जाती है।

संत तुकाराम की जन्म स्थली देहू नहीं जा सके जबकि वही पास में ही थे कारण था समयाभाव क्योंकि आज और अभी ही प्रयागराज के वापस लौटना था। तुकाराम जी प्रणाम करके पुणे से प्रस्थान लिये।

इस्लाम 🥀 गांगेय

इस्लाम का उदय अरब की रेतीली भूमि से हुआ है। इस्लाम में मजहब का चोला इतना बड़ा है कि उसमें मुल्क समा जाते है। इस्लाम की शुरुआत कबीलों की प्रतिक्रिया वादी मजहब के रूप में हुई।

कुफ्र,काफिर,किताब,कुरान,सुन्नत,जज़िया, ख़ुम्स आदि ऐसे शब्द से जिसने एक अराजक राजनीतिक विचारधारा को मजहब का रूप दिया गया।

गला काटने ,पत्थर मारने,जमीन में जिंदा गाड़ने,कोड़े मारने का रिवाज है गोया नफरती और फितरती भी है। प्रेम का सबक इस्लाम में नहीं है न ही दया। जानवरों को जिबह करके आज भी खा रहा है जबकि खाने वाली इतनी चीजें मौजूद है।

इस्लाम में गुनाह क्या है? उदारता ,गैर मुस्लिम से ताल्लुकात। यदि कोई तुम्हें रहने की जगह दे तो उसपर इस्लाम आयत करो। यदि वह न माने उस पर पत्थर चलाओ।

कश्मीर की भूमि धरती की जन्नत है किंतु मजहबी चंगुल में होने से उसे नर्क बना दिये है। सोचिए मुस्लिम की जगह वहाँ हिन्दू होता… गुरबत को कौन कहे वह विश्व का टूरिस्ट का सबसे बड़ा हॉट स्पॉट रहता , साथ हजारों लोग रोजगार पाते।

आज के बक्करवाल,साल,कोट,स्वेटर बेचने वाले करोड़पति होते। लेकिन यह मुसलमान है जिसे मारपीट,कत्लेआम में मजा आता है। मजहब की तरक्की होती है।

विश्व के जितने भी गैर मुस्लिम देश है जहाँ थोड़ा भी मुस्लिम है वह उस देश की सुरक्षा को चुनौती दे रहा है। विश्व में अमन चैन बनाने के लिए इस्लामिक स्कूल वाले सभी मजहब को रोकना होगा।

विश्व के विकल्प हिन्दू,बौद्ध,शिंतो, ताओ आदि है जिसमें सामुदायिकता है और साथ ही हिंसा बहुत कम।

बहुत से लोगों का कहना है कि इस्लाम में इतने लोग मुजाहिदीन कैसे बन जाते है। इसके लिए इनकी पैदाइस को समझिये। एक रेहड़ी वाले,पंचर वाले,ठेले वाले,सब्जीवाले के घर औसतन पांच बच्चें है। जिनको अच्छा भोजन मिलना मुश्किल है। 26/11 मुंबई हमले वाला कसाब ईद पर जीन्स नहीं मिली वह आतंकवादी चिचा हाफिज सईद का फिदाइन बन गया।

मुस्लिम में तालीम की कमी है मजहबी शिक्षा सब पर भारी पड़ती है। मेरे एक परिचित जोकि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से MSC पास किया था कहता है कि जब भारत पाकिस्तान का क्रिकेट होता है हॉस्टल पाकिस्तान बन जाता है। गलत के खिलाफ बोलने का साहस चाहिए, यदि बोले तो गर्दन कटी समझों।

कौन मोल ले कट्टरपंथियों से झगड़े जैसे चल रहा है चलने दीजिये। वरना यह कौम मधुमक्खी है बिना छेड़े शहद देगी,झेडने पर काट खायेगी।

दिल्ली, आनंद,बिहार,उत्तर प्रदेश में रामनवमी शोभायात्रा पर मुस्लिमों द्वारा किया गया पथराव वही करौली राजस्थान में पथराव के बाद आगजनी,खरगोन मध्यप्रदेश में पथराव के बाद हिंदुओं के घर पर आक्रमण,मंदिरों पर पिट्रोल बम फेके गये और सबसे बढ़कर खवातूनों द्वारा पथराव यह सिद्ध करता है कि इस्लाम और किसी को स्थान नहीं देता। वह पूरी कायनात पर किताबी लोगों को चाहता है। सभी काफिरों को जहन्नुम की आग में जलाने को ख्वाहिशमंद है।

भारत का मुस्लिम कन्वर्टेड है, इसके पिता के पिता तलवार की नोंक के दम पर जाहिल बनाएं गये थे। मुस्लिम हिंसा,पत्थरबाजी,आगजनी,गर्दन काटना और आतंकवाद को मजहब का हिस्सा मानता है। इसी कारण यह जहाँ है शांति को चुनौती दे रहा है।

कश्मीर फाइल में खुलती हकीकत ने इनकी कलई खोल दी। सेकुलिरिज्म,भाई चारा यह सब हिंदुओ को छलने के हथकंडे है।

हिंदू मुस्लिम में कभी भाई-चारा न रहा है न रहेगा। मुस्लिम का भारत में आगमन एक रक्तरंजित ,लूटपाट,बलात्कार और हिंदु आस्थाओं के मर्दन,मन्दिर को मस्जिद बनाने से शुरू होता है। भाई चारे के चक्कर में आजादी के बाद छोटे बड़े दंगों की तादाद 3500 से ऊपर है।

गौरतलब है कि मुस्लिम को भी पता है कि अयोध्या,मथुरा,काशी, कुतुबमीनार, धार की मस्जिद, अहमदाबाद की शाही मस्जिद,अढ़ाई दिन का झोपड़ा,अटाला मस्जिद का क्या इतिहास है।

नव मुस्लिम के आस्था के केंद्र स्थल वही पुराने रहे है बस मन्दिर को मस्जिद में बदल दिया गया। मुस्लिम के भारत में दंगा करने की स्थिति सेकुलर राजनीति बनाती है।

देश को धर्म के नाम पर बांट कर मुस्लिम को रोक कर ,उनकी बढ़ती आबादी से सत्ता को सुरक्षित करने की जुगाली रही है ।

हर शहर,गांव में मुस्लिम का अलग क्षेत्र होता है कितने मुहल्ले में पुलिस घुसने में डरती रही है। अब कुछ राज्यों में जरूर सिंघम बन रही है।

अजान 90% हिन्दू क्षेत्र में लाउडस्पीकर पर अजान का क्या काम है । केरल,कर्नाटक,बंगाल,पश्चिमी उत्तर प्रदेश,मेवात में कुछ मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र मिनी पाकिस्तान बन गये है। भारत पाकिस्तान के बंटवारे पर सरदार पटेल ने कहा था कि बटवारा हम इस लिए स्वीकार कर रहे है जिससे हमारे गांव और मुहल्ले ,ऑफिस में पाकिस्तान न बनने पाएं। आज की स्थिति फिर वही वाली हो गयी।

गांधी और नेहरू ने बटवारें में वह गलती की है जिसका भुगतान पाकिस्तान, बांग्लादेश और भारत का हिन्दू कर रहा है।

भारत की संस्कृति क्या है? बुरका,टोपी,अजान,कटते जानवर,पत्थरबाजी,हिंसा,बलात्कार,आगजनी! की मंत्रोच्चार, धोती,सौहार्द प्रेम,अहिंसा,सहनशीलता आदि।

किन्तु आप स्वधर्म का पालन जाहिलों के समूह के सामने नहीं कर सकते है। सहनशीलता की सीमा होती है हम राम,कृष्ण, शंकर की भूमि की लिए म्लेच्छों से मुकदमा लड़े और राजनीतिक शांति के छलछन्दी कबूतर की बात करता है जिसे मुस्लिम कब के मार कर खा चुके है।

शांति की बात हिंसक पशुओं से नहीं होती है हमारे आदर्श राम और कृष्ण को भी धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र उठाने पड़े थे,समुद्र बांधना पड़ा था,भरी सभा में ब्रह्मांड स्वरूप दिखाना पड़ा था।

तुम्हारे एक लड़का है अब्दुल पंचर वाले के सात। तुमने अपने लड़के की शिक्षा पर लाखों खर्च किये अब्दुल ने सरकारी खर्चे पर तालीम दिला ली। तुम्हारा लड़का बेरोजगार है वही अब्दुल का सऊदी चला गया। तुम्हारी उच्च शिक्षा का परिणाम यह निकला कि पूत सेकुलरी सोच का हो गया, अब्दुल का मजहबी।

पैसा तुम्हारा लड़का भले न कमा पाये ,अब्दुल का सऊदी और दुबई में बाल काटकर,बकरी चरा कर बना लेगा। फिर तुम्हारी लड़की को इम्प्रेस करके लव जिहाद सफल कर लेता है।मुस्लिम द्वारा लक्षित प्रजनन का उद्देश्य भारत की हड़प, दारुल इस्लाम बना कर किया जाना।

गोया क्या निकल कर आया? हिन्दू उत्तर भारत में पृथ्वीराज चौहान और दक्षिण भारत रामराज के समय जिस स्वतंत्रता को खोया था वह आज भी नहीं मिली है।
राजनीति हमें सिखाती रही है कि यह वाला समाज बनाओं। इसका कारण हिन्दू स्वयं है जिस कार्य को उसे करना चाहिए उसे राजनीति से करवा रहा है। राजनीति कीमत के रूप में सत्ता मांगती है उसके लिए कुछ भी करती है।

गोरी,गजनवी,तैमूर,बाबर और औरंगजेब आज भी आप की डोर बेल बजा रहे है। यह भी ध्यान रहे गोरी,गजनिवियो,बाबरों के लिए एक मुस्लिम शर्मिंदा नहीं हुआ न ही अयोध्या,मथुरा और काशी के लिए उन्हें कोई खेद है बल्कि यही उनका मजहब है। उसे अपना सिद्ध करना उसका कर्त्तव्य।

हिन्दू की कायरता है कि रामनवमी के जुलूस पर पत्थरबाजी हो रही है। जबकि वह 20 फीसद भी नहीं है। कश्मीर से 370 हटने से वह पाकिस्तान के मुस्लिम से ज्यादा क्रुद्ध है। यह समझिये उसका बस नहीं चल पा रहा है वरना कई लोगों को वह कच्चा चबा जाय।

सौ की सीधी एक बात तुम्हें गंदगी साफ करनी पड़ेगी! भारत मे मुस्लिम समस्या का एकमात्र समाधान घर वापसी है। दूसरे हिंदुओं को शस्त्र धारण करना होगा।

चित्र: खरगोन दंगे के है।

कांग्रेस का भंडाफोड़ …… गांगेय♨️

कांग्रेस राजनीति में अस्तित्व हीन होती जा रही है आखिर इसका क्या कारण है जिम्मेदारी कौन लेगा,किस पर ठिकरा फूटेगा। लगातार असमंजस्य बरकार है। पार्टी की दुर्गति हो रही है उसके नेताओं को समझ नहीं आ रहा है सेकुलर के अलावा भी कुछ है कि नहीं।

कांग्रेस और कांग्रेसी नेता तक बात ठीक है जब यह बढ़कर कांग्रेसी वोटर की ओर जाती है तब स्थिति हास्यास्पद बन जाती है। मूढ़ कांग्रेसी तरह-तरह की दलीलें पेश करने लगता है कि बीजेपी राजनीति में धर्म का सहारा ले रही है वर्णाश्रम,मनुस्मृति,शास्त्र और ब्राह्मण को सम्मान नहीं दे रही है आदि-आदि।

कुछ मुद्दे जिस पर परिचर्चा आम रहती है कृषि,विकास,सुरक्षा,रोजगार,शिक्षा,स्वास्थय, संस्कृति और लोग।

सुरक्षा पर प्रथम दृष्टि डाले👉
बंटवारे की जिम्मेदारी किसकी थी और सत्ता कौन पाया?दोष किसपर लगाया गया,नरसंहार किसका हुआ? यदि मालवीय, सावरकर हिंदुओं के प्रतिस्थापित नेता थे तब लीग ने गांधी और नेहरू को नेता क्यों स्वीकार नहीं किया। जबकि गांधी और नेहरू का एजेंडा सेकुलिरिज्म का था हिन्दू मुस्लिम भाई-भाई का था यहाँ तक कि देश बटने के बाद मुस्लिम को एक नये पाकिस्तान बनाने के लिए क्यों रोका गया?

जम्मू&कश्मीर को विशेष छूट 370 के रूप क्यों दी गयी। जबकि जूनागढ़ और हैदराबाद की स्थिति वही थी।

पाकिस्तान ने नेहरू के समय कश्मीर का हिस्सा अधिकृत कर लिया बदले में पिद्दी देश से निपटने को कौन कहे,मामले को नेहरू UN में लेकर चले गये। परिणाम यथास्थिति! नुकसान किसका हुआ , भू क्षेत्र किसका गया।

नेहरू अभी विश्व नेता बनने की फिराक में कूटनीति को खूँटी टांग कर UN की स्थायी सीट, जिसे भारत को दिया गया, हिंदी- चीनी भाई-भाई के ख्याल में चीन को दे दिया गया। बदले में चीन ने 1962 में अश्काई चीन क्षेत्र भारत से कब्जा कर लिया।

नेपाल और भूटान को वहाँ के तत्कालीन राजा के कहने के बावजूद नेहरू ने भारत मे सम्मिलित नहीं किया। आज वही चीनी सीमा पर चुनौती बन रही है।

भारत का विकास एक एम्स, सात IIT ,कुछ बांध से पूरा हो गया क्या? भारत के लोगों का अभ्युदय हुआ; अंग्रेजों ने भारत पर शारीरिक गुलामी रोपी थी नेहरू एंड कम्पनी ने मानसिक गुलामी। अब मूढ़ कांग्रेसी जिरह करेगा। उसके लिए तुम जिस इतिहास की आलोचना कर रहे उसे किसने लिखवाया? सावरकर,वाजपेयी या मोदी ने?

स्वतंत्रता के क्या पैमाने कांग्रेसी रखेगा, हिन्दू आस्था की ऐसी-तैसी करना। बुर्के वालो पर मौन, क्योंकि वह सत्ता की चाभी बनते रहे है। बंटवारे में भारत आये हिन्दू,सिख,बौद्ध,ईसाई को नागरिकता मिले, उस पर तुम्हें आपत्ति है।

आइये इंदिरा जी पर आवाज लगाये। उनके पास जमा तीन-चार चीजें है । पहला बांग्लादेश की मुक्ति करके पाकिस्तान को दो टुकड़ों में विभाजित कर देना। भारत के इतने संसाधन बर्बाद हो चुके थे तब क्यों नहीं बंगलादेश को भारत में सम्मिलित नहीं किया गया। परिणाम बांग्लादेश से हिन्दू गायब और भारत के कई राज्यों मुस्लिम फर्जी नागरिक बनने लगे। मुस्लिम वोटर कांग्रेस का है इस लिए NRC पर देश जले तो जल जाएं। यह देश मुस्लिम अल्पसंख्यको का ही है! क्योंकि वह वोटर उनका है।

स्वास्थ्य का हाल यह था कि अभी कुछ सालों पहले तक महिला को टैक्टर आदि अस्पताल पहुँचाने में सड़के इतनी अच्छी होती थी कि सड़क के गड्ढे से जिन नौनिहालों का जन्म अस्पताल में होना था वह रास्ते में पैदा हो जाते थे।

ऑपरेशन ब्लू स्टार और इंदिरा की हत्या दिल्ली में पंजाबियों का नरसंघार और पंजाब में हिंदुओं का ,अरे भिंडरावाले को पैदा इंदिरा ने किया नाहक सिख कौम आतंकवादी बना दी गयी।

तुम आतंकवादियों के लिए देर रात कोर्ट का दरवाजा खुलवाते हो, राममंदिर की जगह अस्पताल को समर्थन देते हो ,शत्रु देश की टूल किट बन जाते हो,अपनी सेना पर प्रश्न करते हो,दंगाइयों से गलबहियां यहाँ तक अंधे हो गये की भारत के प्रधानमंत्री का काफिला रुकवा देते हो।

राम मंदिर बनने से रोकने के लिए और राम के अस्तित्व पर हलफनामा देने वाले यही कांग्रेसी है। नार्थ ईस्ट और कोस्टल भारत में ईसाइयत फैलाने में नेहरू से लेकर राहुल गांधी की बड़ी भूमिका रही है।

टेरेसा जैसे ईसाई लालची को भारत रत्न राजीव गांधी की सरकार द्वारा दिया गया।

मिस्टर कांग्रेसी आज तुम पर धर्म का जो जुनून सवार है वह नेहरू,इंदिरा और राजीव और सोनिया के समय में क्यों नहीं हुआ।

होता भी कैसे तुम तब गा रहे थे अल्लाह को प्यारी है कुर्बानी,शांति के कबूतर छोड़ रहे थे। तराने चल रहे थे अमर,अकबर,एंथोनी।

अरे वो मूढ़मति कांग्रेसी कम से कम वही इतिहास देख लेते जो तुम्हारें अब्बाजान लोगों ने लिखा है। लेकिन तुम कैसे देखते पिछले 15 साल से टट्टू को घोड़ा बनाने में जो लगे हो।

तुम्हारे वेद का स्रोत मैक्समूलर है तुम्हारें इतिहास का स्रोत अंग्रेज। तुम्हारें संविधान का स्रोत अंग्रेज शासित देश।

भारत ऋषि मुनियों,यति,तपसी,साधू, वृन्द ,धरती को माता मानने वाले लोगों की भूमि है तुम विधर्मी,विदेशी मानसिकता वाले काले अंग्रेज की गुलामी करने ,चरण चिंतन करके भरतीत संस्कृति को भ्रष्ट कर रहे हो।

प्रयाग के एक ब्राह्मण संत रामानंद जी ने कभी कहा था कि …

जाति पाति पूछय नहीं कोई जो हरि का भजय वो हरि का होई।।

यह कैसा न्यू ईयर है●●●●💘👅

भारतीयों का होता सांस्कृतिक पतन जिस गति से बढ़ रहा उससे लग रहा है जल्द ही भारत का मुख्य त्यौहार क्रिसमस और न्यू ईयर हो जायेगे।

किस तरह से युवा पीढ़ी आधुनिकता और स्वतंत्रता की अति के लिए न्यू ईयर सेलिब्रेट कर रही है। युवा पीढ़ी फैशन के नकल की ऐसी दीवानी हो गयी है कि न्यू ईयर पार्टी, दारू पार्टी, कपल का होटल के एकांत कमरे का आनंद। गोवा बीच की अश्लीलता को भी वह आनंद के विषय से जोड़ लिया है।

फैशन की गिरफ्त में युवा पीढ़ी में किस जगह जाकर सेलिब्रेशन हुआ ,उसका महत्व अत्यधिक हो चुका है।

यह सिर्फ क्रिसमस और न्यू ईयर तक सीमित नहीं है बल्कि बर्थडे पार्टी,सक्सेस पार्टी, मैरिज पार्टी आदि में सब तत्व अप संस्कृति से आ चुके है। हमारी भारतीयता कहाँ गुम होकर किनारे खड़ी निहार रही है कि मेरा बच्चा कैसे काला अंग्रेज बन गया।

एक अनपढ़ चाचा कह रहे थे कि मेरा पोता आज सुबह बिस्तर से से उठते ही हैप्पी-हैपी कह रहा है। तब जानते है उन्होंने क्या कहा… बेटा हैप्पी का मतलब खुशी से है तुम कितना खुश हो ,कितना मीठा खाया, मीठे से मतलब है कि भारत के उत्सवों में मिठाई एक महत्वपूर्ण चीज है। साथ ही चाचा ने कहा कि बेटा यह त्यौहार ईसाइयों का है, हिंदुओं का नहीं है।

हिन्दू के त्यौहार संक्रांति,चौथ,अमावश्या,चैत्र प्रतिपदा है क्रम से आयेंगे, चैत्र प्रतिपदा के दिन हिन्दू संवत्सर का प्रारम्भ होता है। किंचित तुम्हें ध्यान हो #विक्रम संवत्,शक संवत्, #कल्कि संवत्।।

डीजे लगा कर कानफोड़ू संगीत के बीच शराब पीकर जोर जोर हैप्पी न्यू ईयर कहना किस तरह खुशी का पर्याय बन सकता है?

भारत में लागू अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था,राजनीतिक व्यवस्था ने पूरी सरकारी व्यवस्था को उसी तरह बना दिया है। हमारे बच्चें इन नकली उत्सव को महोत्सव समझने लगे है। कब्र में #मैकाले की रूह मुस्करा रही है।मैकाले ने भारत के लिए जिस सोच के साथ अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था को लागू किया था उसके परिणाम अब मिल रहे है।

अंग्रेजों के हिसाब से दिसम्बर में छुट्टी, क्योंकि उन्हें इंग्लैंड परिवार के साथ #क्रिसमस और #न्यू ईयर मनाना था। गर्मी का भी हाल यही था जून भारत में बहुत गर्म महीना रहता है और ब्रिटेन में बच्चों के स्कूल इस समय बन्द रहते थे।

हमारे बच्चें अपने त्यौहार भूल गये संक्रांति में तिल के लड्डू क्यों खाये जाते है किंचित उन्हें पता हो। यह अपसंस्कृति का प्रभाव है कि शहर क्या गांवों तक #अंग्रेजी कल्चर हावी होते जा रहे है।

स्वागत जीवन में कम होने का नहीं होता बल्कि बढोत्तरी का होता है नववर्ष नव संकल्प के साथ शुरू किया जाता है दारू पार्टी,रेव पार्टी, पेज थ्री से नहीं है । बल्कि बुद्धि विवेक आपका खूब चिल्लाईये हैप्पी न्यू ईयर…

हमारी संस्कृति के सबसे बड़े वाहक थे हमारे परिवार। जिसमें #दादा-दादी,चाचा-चाची,बुआ,मामा, मौसी उनके बच्चों के साथ बड़े होते थे । गौरतलब है कि परिवार टूटने से रिश्ते लुप्त हो गये अब बच्चें मोबाइल के साथ बड़े होने लगे।

काश की भारत अपनी संस्कृति के अनुरूप व्यवस्था को अपना सके। व्यवहारिक रूप में #दक्षिण भारत के लोग उत्तर भारत के हाइब्रिड कल्चर से बहुत आशंकित रहते है क्योंकि उन्होंने उत्तर भारत की अपेक्षा अपने त्योहार,परम्परा,मान्यता आदि को बचा रखा है।

उत्तर भारत राजनीतिक गढ़ होने से कुछ ज्यादा सेकुलर फील कराता है।।

वर्षांत..गढ़ती छवि🍁🍁

नरेंद्र मोदी कैसे वह गुजरात से भारत के जन और मन नेता बन गये। कांग्रेस उन्हें राजनीतिक बिरादरी में अछूत घोषित कर रखा था। दिल्ली का लुटियंस गैंग मोदी नाम से बिदक जाता था। भारत का सो कॉल्ड बौद्धिक वर्ग गुजरात दंगे का न्याय, मोदी को सजा देकर लेनाचाहता था।

एक खास वर्ग जिसकी तालीम हावर्ड, आक्सफोर्ड आदि से हुई थी जो भारत का होने पर भी अपने को इतना मॉडर्न मानता था कि उसे काला अंग्रेज कहना ही सही होगा। कपिल सिब्बल,मणिशंकर अय्यर, शशि थरूर यहाँ तक अमर्त्यसेन,अभिजीत बनर्जी जैसे विद्वान एक खास मानसिकता की वजह से मोदी का विरोध कर रहे थे।

मोदी का राजनीति में जितना विरोध होता , मोदी की छवि जनता के मन उतनी और उभरती। मंझे नेताओं को मोदी कैसे मात दे गये। कांग्रेस पार्टी के बड़े दिग्गज मोदी के विरुद्ध नैरेटिव बनाने में लग रहे। वह कांग्रेस पार्टी के इतिहास को भूल कर एक टट्टु को हाथी के मुकाबले में जीता मान कर चल रहे थे जबकि मोदी की हिंदुत्व की अपील जनता के सिर चढ़ कर बोली।

कांग्रेस और बुद्धिजीवी झूठे इतिहास के सहारे हिन्दू मुस्लिम एकता के तराने गाते रहे है । अटल, आडवाणी,सिंहल,तोगड़िया से शुरू हुआ व्यूह मोदी के रूप में अर्जुन बन गया। तुम होंगे पितामह,द्रोण और कर्ण जैसे महारथी अर्जुन की जिम्मेदारी जनार्दन की है, वही राजनीति में मोदी के इर्द गिर्द हुआ जनार्दन नहीं तो जनता ही जनार्दन बन गयी।

विपक्षी अपनी मूर्खता से अभी भी बाज नहीं आ रहे है मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री रहते जिस तरह बर्ताव सोनिया की टीम ने किया “मौत का सौदागर” अभी उस समय के कैबिनेट मंत्री शरद पवार पोल खोल रहे है। आये दिन कोई न कोई कांग्रेसी वह बोल जाता है जिससे मोदी को फायदा हो।

चाय वाला.. चायवाला और भारत का प्रधानमंत्री .. यह कर्ण जैसे महारथी को रास नहीं है क्योंकि उसे स्वयं के बाहुबल से ज्यादा दुर्योधन को राजा बनते देखना है क्योंकि दुर्योधन ने उसकी आकांक्षा को लाभ दिया। जो धर्म- अधर्म से भी ऊपर है। इसी मानसिकता को जीवित रखते हुए फेंके हुए जूठन खाये झूठे लोगों ने मनवाया कि सत्ता का अधिनायकत्व गांधी-नेहरू के परिवार में ही है। इनके बिना लोकतंत्र मर जायेगा। इसी के लिए यहाँ लोकतांत्रिक राज परिवार बन गये है जिससे लोकतंत्र जिंदा रहे।

उस परिवार की विचारधारा को सम्पूर्ण कांग्रेस पार्टी पर थोप दिया गया। जबकि तुम्हें मालूम है आमजन मानस क्या चाहता है । भारत में राजनीति की बयार बदल गयी है। फिर भी तुम चिड़िया उड़ ,कौआ उड़ खेलना चाहते हो।

आपने विचार किया है कि कोई आप की जमीन पर कब्जा कर ले ,आप के बहन-बेटियों अस्मत लूट ले,आपके पूजा स्थल पर अपना इबादतगाह बना दे, कब्जे के बाद जमीन को धर्म के नाम अलग कर ले। आप सब भूल जाएंगे? क्योंकि कुछ लोग तराने सुना रहे है हिन्दू-मुस्लिम-ईसाई भाई-भाई। चंद लोगों की भलाई से देश और संस्कृति नहीं भूला दी जाती है।

उनके दिए घाव बहुत गहरे है हमारी आवाज बनने वाला कोई राणा, कोई शिवाजी न रहा। हमारे ऊपर गांधी और नेहरू को थोप दिया गया, पूरा माहौल सेकुलर बना के। हम कैसे और कब राम-कृष्ण को छोड़ कर बुद्ध की रुबाइयां गाने लगे। जिसके युद्ध को महाभारत कहा गया वह अहिंसावादी हो गये।

नहीं दोस्त हमारी आवाज दबा दी गयी इतिहास के माध्यम से सिनेमा,साहित्य और शिक्षा से। देखिये न आप, जैसे ही कोई मोदी आया पूरा हिन्दू समाज एक जुट हो गया। वह धर्म,संस्कृति,संस्कार,आध्यात्म यहाँ तक कि विद्या माता की बात करने लगा है।

यह हिन्दू है किसी के किये गये उपकार और अपकार को सूद समेट लौटता है। आपको पीड़ा हो सकती है क्योंकि आप सेकुलर हो और एक खास परिवार के पुजारी भी। आपका सत्य रोमिला थापर और अमर्त्यसेन जैसे पर आश्रित है , आप की दृष्टि गांधी परिवार के इबादत में चली गयी है।

सौ की सीधी एक बात बाना पहनने से कोई जोधा नहीं बन जाता। उसके लिए सीने में धधकती ज्वाला चाहिए।

काशी बोल रहा है🌻

भारत की राजनीति में मोदी से पूर्व का भारत और पश्चात के भारत पर हम सभी कभी चिंतन करेंगे। मोदी के पूर्व का भारत नेता सेकुलर थे फिल्मकार,पत्रकार,अध्यापक,
इतिहासकार और लेखक का एक विजन था भारत की आत्मा पर दासता का अंकन।

बच्चों को शिक्षा के नाम पर बर्बर मुस्लिमों, मुगलों को सेकुलर और अंग्रेजों का भारत का उद्धारक सिद्ध करके पढ़ाया जाता रहा है। इसके लिए दोषी कौन था विचार आप को करना है।

राजनीतिक आरोप की बात की जाय तो सरल भाषा में साहब राजनीति तुम भी कर सकते थे किंतु तुम हिन्दू धर्म का मखौल उड़ाने में लगे थे तुम्हें अब्दुल का ही मजहब दिखाई दिया। हिंदुओं की आह लगी है कि आज सत्ता पाना तुम्हारें लिए गधे की सींग की तरह हो गया है।

एक परिवार के प्रति ऐसी अटूट श्रद्धा रोपी गयी जैसे भारत का जन्म उसी से हुआ है। हिंदू होना लगभग अपराध बना दिया गया था दलित,पिछड़ा,ज्यादा पिछड़ा हो सकते हो। मुस्लिम को वोट बैंक बना, सत्ता की सीढ़ियां खूब चढ़ी गयी। खुले में नमाज हो या इफ्तिखार पार्टी सब जायज था क्यों राजनीतिक सेकुलर का अर्थ बनाया गया हिन्दू संस्कृति से ,उसे खत्म करने से।

वामियों से इतिहास का लेखन एक सामंतवादी प्रकार का कराया गया जिसमें लिखा गया भारत की परतंत्रता और समाज के विखंडन के ब्राह्मण और क्षत्रियों का दोष रहा है। न्यूज में एक एंगल बनाया गया दलित,पिछड़ा और अल्पसंख्यक।

हिंदुओं की लड़कियों के साथ खूब प्रेम का प्रकटीकरण हुआ ,प्रेमी लौंडे मुस्लिम के हो गये। हिन्दू त्यौहारों पर बालीबुड से लेकर मीडिया और प्रचार तंत्र में यहाँ तक कि मुस्लिम भी ज्ञान देता/देती मिल जाता था कि होली ऐसी हो दिवाली ऐसे मने। हिन्दू का मतलब मसखरी ,मुस्लिम का अर्थ मजहबी बनाया गया। वह मुस्लिम जो तीन तलाक,बुर्का, जानवरों की हत्या त्यौहार मनाने के लिए कर रहा है।

ईसाई मिशनरियां चुपचाप हिंदुओं का धर्मांतरण करती रही है जिसमें सहायक थे उनके आधुनिक स्कूल और वेटिकन वाली सोच। यह सनातन धर्म है जो स्वयं के साथ खड़ा रहा है हम अद्वैत पर अडिग रहे है और यह कहा कि ईश्वर दंड दे रहा है उसे स्वीकार करना पड़ेगा। कितनी स्थिति खराब हो एक दिन निश्चित सनातन हिन्दू धर्म का समय आयेगा।

हिन्दू भूत झाड़ने का धर्म नहीं बल्कि स्वयं को जानने का है। सनातनी उद्घोष करता है अहं ब्रह्मस्मि अर्थात मैं ही ब्रह्म हूँ। ब्रह्म अर्थात उस परम शक्ति और हमारे मध्य किसी पैगम्बर ,किसी दूत की जरूरत नहीं है।

भारत की राजनीति ही नहीं बदली वरन समाजिक व्यूह भी बदल गया। भारतियों की अदम्य शक्ति श्रीराम मंदिर से दिखने लगी है बहुत जल्द एक बड़ा परिवर्तन देखेंगे जिन्हें लोभ,लालच और तलवार के जोर पर धर्मांतरित किया गया वह सभी अपने घर हिन्दू धर्म में वापस आयेंगे। जिसके दौर का आरंभ हो चुका है।

गलत इतिहास लिख देने से, सत्ता पा लेने से भारतीयता को ज्यादा दिन दबाया नहीं जा सकता है। यह सदी भारत की सदी बनने वाली है। आप तैयार रहे जितना आप ने सोचा है उससे अधिक मिलने वाला है। यह हिन्दू धर्म है न भूतों न भविष्यति। मनुष्य है तो मनुष्य की गरिमा और महिमा दिखनी चाहिए।

सर्बिया, इराक,सीरिया,अफगानिस्तान की तरह मानव बलात्कार की वस्तु बन कर न रह जाय। जो जैसा है वैसा दिखता है।

मैं अभी एक विवाह में हूं विवाह में आते समय रास्ते भर बारात आते-जाते देखता रहा । दिनभर का थका हारा बाराती सूट बूट पहनकर चमक बिखेर रहा है । कानभोडू बैंड परीक्षा ले रहे है चल बे बोल कितना सुन सकता है। दूर आतिशबाजी की तैयारी चल रही है। बैड पर नाचने वाले शराब के इंतजाम में व्यस्त है। कुछ महिला वर्ग चेहरे की हजामत करके , चेहरे को गहरे मेकअप से तैयार किया है । इन महिलाओं की तैयारी किस लिए है वह बाराती जो पीछे दारू पीकर मदहोश हो कर आया।

बारात में भागदौड़ है बराती से पहले घराती खाना खाकर निकलना चाहते है। बारातियों का अपना DJ बैंड का अश्लील गाना है… वही घरातियों का बाबुल की दुआएं लेती जा तुझको सुखी संसार मिले…। इस गाने पर किसी का ध्यान नहीं है क्योंकि आज से आफत वर पक्ष के लिए है इस बहु के साथ सामंजस्य बिठाने की।

बराती नाचने के बाद भोजन की टोन में क्या-क्या खा ले। उसके बाद भी पूछता है और कुछ है क्या??

विवाह में एक पंडितजी द्वारा मंत्र और कुछ चीजों को छोड़ दिया जाय तो कोई सनातन तत्व नहीं है ब्रह्म विवाह कैसे कहा जाय। बगल में चमचमाती गाड़ी और दहेज का समान रखा है। कोई बिगड़ कर गाली भी दे रहा । माहौल कुल मिलाकर खुशमिजाज और फोटो शेशन का चल रहा है।

कोई कोई नैना चार की फिराक में है किंतु सोसल मीडिया के समय मे सब पहले से दो है। खैर तुम लगे रहे परिणाम सुबह पता चलेगा😂

कृषक कानून और बदहाल किसान.. गांगेय

कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार होकर बदहाल कैसे हो सकती है कृषि उपार्जन की ,किसान अर्थव्यवस्था पर बोझ बन गया है? सरकार चुनाव के दबाव में वापस कदम खींचे। सरकार द्वारा वापस लिए गये तीन कानून

१. कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य संवर्धन और सरलीकरण विधेयक (2020) यह कानून निकट भविष्य में सरकारी मंडियों की प्रासंगिकता को शून्य कर देगा। निजी क्षेत्र को बिना पंजीकरण और बिना किसी जबाबदेही के कृषक उपज के क्रय विक्रय की खुली छूट। अधिक से अधिक कृषि उपज की खरीदारी निजी क्षेत्र करें।

२. कृषि कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक ( 2020) इसी के तहत कांट्रैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा। बड़ी कम्पनियों और भारी भरकम मशीनीकृत खेती के सामने कैसे भूमिहीन,संसाधनहीन किसान कैसे टिकेगा।

३. आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक (2020) निजी क्षेत्र को असीमित भंडारण की छूट। उपज जमा करने के लिए निजी निवेश की छूट। यह एक प्रकार से जमाखोरी और कालाबाजारी को मान्यता देना है।

2011 की जनगणना के अनुसार देश में कुल 26.3 करोड़ परिवार खेती किसानी के कार्य में लगे हुये है। इसमें महज 11.9 करोड़ किसान के पास खुद की जमीन है जबकि 14.43 करोड़ किसान भूमिहीन है। भूमिहीन किसान बड़ी संख्या में बटाई पर खेती करते है। भूमि के मालिक से खेती के बदले आधा उपज दिया जाता है। श्रम और भूमि से मिलकर उपज पर आधा-आधा बटवारा।

भारत की GDP में कृषि का हिस्सा 14 फीसदी है वही इस पर आश्रित जनसंख्या कुल का 50 फीसदी है।

किसान की सबसे बड़ी समस्या है उसका असंगठित होना। नेता भी जानता है किसान अपने हकूक के लिए इकट्ठा नहीं होगा इस उसके हित के कानून कभी पास नहीं किये जाते। यह जरूर है उसे खेती से हतोत्साहित करने के कानून बनाये जाते है।

बिजनेसमैन कार्टेल बना कर अपने उत्पाद का मूल्य बढ़ा लेता है वह किसान को सरकार द्वारा घोषित MSP के इर्द गिर्द रहना पड़ता है।

MSP की व्यवस्था भी ऐसी है कि सामान्य किसान की पहुँच से दूर रहती है जैसे उत्तर प्रदेश में धान की कटाई अक्टूबर के अंतिम तक कटाई शुरू हो जाती है जबकि MSP पर खरीद दिसम्बर में शुरू होती है। उसमें में कहा जाता है कि हाइब्रिड धान नहीं लिया जायेगा। सिर्फ मंसूरी लिया जायेगा। जिस किसान ने मंसूरी धान की फसल नहीं की है उसका क्या हो। MSP खरीद मात्र एक या ज्यादा से ज्यादा डेढ़ महीने तक धान में होती है। यही आलम गेंहू का भी है।

MSP को पूरे फसल सत्र के लिए लागू क्यों नहीं किया जाता है। उसमें सभी तरह के धान और गेहूं की छूट मिलनी चाहिए।

किसान अपने मूल्य का निर्धारण कब तक मंडी और सरकार से करवाता रहेगा। भारत द्वारा WTO में हस्ताक्षर करने के साथ स्पष्ट कर दिया गया है कि वह उद्योग और सेवा क्षेत्र को बढ़ावा देगा। प्राथमिक क्षेत्र कृषि को हतोत्साहित करेगा।

सरकारें भी कृषि नीति में सुधार की जगह मुफ्त बाटने में लगी है यह मुफ्त उसे वोट दिलायेगा कृषि सुधार नहीं।

किसान के 2 एकड़ खेत का मूल्य 2 करोड़ रुपये हो सकता है किंतु इससे उसका जीवन नहीं चल सकता। जबकि एक चपरासी 5 लाख घूंस देकर खुशहाल जीवन के साथ प्रॉपर्टी बना लेता है।

किसान विवश और मजबूर है उसकी सुनवाई कही नहीं है उत्तर प्रदेश में किसान की मेहनत का आधा छुट्टे जानवर खा जा रहे है छुट्टे जानवर की कोई व्यवस्था नहीं है बस घोषणा जरूर की जाती है।

आप की राजनीति पक्ष-विपक्ष, राष्ट्रवादी-सेकुलर की हो सकती है लेकिन किसान वास्तव में दुःखी है उसकी उपज का सही मूल्य नहीं मिल रहा है। 5 एकड़ खेती वाला किसान भी अपने किसानी की आय से गुजारा नहीं कर पा रहा है वही एक छोटी नौकरी वाला,व्यापार वाला खुश है यह अंतर आखिर किसने पैदा किया।

उत्तम खेती कही जाने वाली कृषि,चाकरी भीख निदान वाले से ही भीख मांगने पर मजबूर है। उसे उर्वरक की बदहाली से लेकर,बीज,बिजली के लिए तरसना पड़ता है।

संस्कृति की खोज 🚩 गांगेय🏵️

संस्कृति की खोज 🚩 गांगेय🏵️

भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्रचीन संस्कृति है सनातन धर्म शाश्वत तरीके से गतिशील है।

आज के आधुनिक युग में विश्व के हर कोने से लोग भारत के धर्म और संस्कृति में रुचि ले रहे है। इसी दीपावली पर अमेरिका भी सेलिब्रेट करने के साथ इसकी प्रशंसा करता दिखाई पड़ा।

सनातन हिन्दू धर्म के विरोध में विश्व में अनेक मत,पन्थ,मजहब के अलावा भारत में ही एक खास वर्ग बन गया है जो हिन्दू धर्म के विरोध में है। यह विरोधाभाष है कि भारत की राजनीति हिन्दू धर्म के विरोध में रही है । क्योंकि नकल के संविधान का एक उद्देश्य है भारत को नास्तिक बनाना। लोगों पर संविधान की सर्वश्रेष्ठता लोकतंत्र के नाम पर आरोपित करना।

बीजेपी के उभार से पुराने सेकुलर भी अपने को हिन्दू कहता नजर आ रहा है जो अपने को अभी तक इंसान,सेकुलर,बौद्धिक,मार्डन, कम्युनिस्ट न जाने क्या क्या कहता फिरता था।
सोचने का विषय है कि भारत बाह्य शत्रु से संघर्ष करे या आंतरिक शत्रु से।

विश्व में सिर्फ भारत में खासकर हिंदुओं में ही लोग मिलेंगे जिन्हें अपनी संस्कृति और धर्म से द्रोह है। अब समझिये यह द्रोह क्यों है? प्रचीन काल से भारत में एक वर्ग रहा है जिसे सत्ता प्राप्त करने की प्रबल आकांक्षा रही है उसके लिए वह कुछ भी करने को तैयार रहा है। विदेशियों के लिए अपने देश की जासूसी। उन्ही के वंशज आज भी वही कार्य कर रहे है।

कोई नीली छतरी, कोई लाल तो कोई पंजा पकड़ लिया है। सूरतेहाल यह कि देश रहे या न रहे सत्ता मेरी रहे ,मेरी जाति केंद्र में हो।

सबसे बड़े आतंकवादी वह है जो जनसंख्या वृद्धि में लगे। यह बढ़ती जनसंख्या सभी समस्या का पर्याय बन जा रही है। लोकतंत्र में लगता है कि जनसंख्या अधिक करने पर सत्ता का अपहरण स्वमेव हो जायेगा।

भारत के अंदर धर्म -संस्कृति का विरोध करने वाले के पीछे सत्ता की भावना छिपी है। सबसे बढ़कर अंग्रेजी व्यवस्था भारतीयता के विरोध में है वह भारत में काले अंग्रेज चाहती है जिसकी श्रद्धा लंदन और पोप में रहे।

भारतीय मूल के लेखक वी यश नायपाल सही लिखते है कि विश्व में एक मात्र भारत देश है जहाँ के इतिहासकार अपने गुलाम बनाने वाले देश को आधार मानकर लिखा है अंग्रेज लेखन आज भारत का अभिलेखीय प्रमाण है।भारत का इतिहासकार उन्ही अंग्रेजों के लिखे इतिहास को सत्य मानता है और उसी को अपनी पीढियां को पढ़ाता है यदि वह पढ़ कर भारत को गाली देने लगा समझिये एक आधुनिक मनुज तैयार हो गया।

भारत की मानसिक पकड़ भारत से बाहर के विदेशी निर्धारित करते है। नोबल जैसा पुरस्कार अब तक जितना दिया गया है उसे देखिये यह किन देशों को अधिकतम दिया गया है फिर भारत का पढ़ा लिखा आदमी इसी पुरस्कार का सपना सजो लेता है।

भारत को मानसिक रूप से आज भी गुलाम बनाने वाले देश ब्रिटेन पर विचार करिये उसने अपने भौतिक विकास के लिए आधे विश्व को उपनिवेश बना दिया था क्योंकि उसको लंदन और लंकाशायर जैसे शहरों का विकास करना था। 18 वीं सदी तक ब्रिटेन के लोग हग कर पालीथीन में रखते थे । वह भारत पर 200 वर्ष तक शासन कैसे कर सकते है क्योंकि भारत में कुछ लोग ऐसे थे जिन्हें सत्ता की नजदीकी चाहिए थी।

आप को क्या लगता है विकास का पर्याय शहरीकरण है दिल्ली,मुम्बई जैसे मेट्रोपोलिटन सिटी बना कर क्या मनुष्यता का विकास हो जायेगा?

संस्कृति का वाहक ग्राम्य भारत और माता रही है। भारत की सबसे मजबूत ईकाई परिवार को बिखण्डित करने के लिए माता को भारत के विरुद्ध, देह सुविधा के नाम पर खड़ा किया गया। वह बड़े अभिमान से अपनी तुलना फिल्मी पतुरिया से करने लगी। हांडा रानी,लक्ष्मीबाई उसके लिए गाली का पर्याय बन गयी है। यहाँ तक कि सनी लियोनी से तुलना को भी वह स्वीकार ली । यह बौद्धिक दिवालयापन है।

एक विषय सदा जीवन रहेगा किसका विकास और कितना विकास ? भौतिक विकास के बीच संवहनीय विकास की बात मजबूती से होनी प्रारम्भ है। विकास के नाम मनुष्य वस्तु बना दिया गया उसकी जीवंतता गायब है वह जून के महीने काला कोट और टाई लगाये घूम रहा है।

भौतिक विकास नगर-शहर-सिटी तक पहुँच गया है विकास समृद्धि नहीं बन सकता है भौतिक परिसम्पत्तियों का विकास कर मानवीय पूंजी और वास्तविक बौद्धिक पूंजी को कैसे सुरक्षित रखेगे ।

भारत की एकमात्र समस्या है इसकी मानसिक गुलामी। भारत का व्यक्ति भारतीय मूल का बन कर नोबल कैसे पा जाता है। छोड़िए आप विचार न करोगे। तुम अपनी जाति के लिए सोच रहे हो ।