हमारी गर्लफ्रैंड हो वह भी मॉडर्न वाली। मेरी बहन का चक्कर किसी से न हो। मेरी पत्नी वर्जिन और सावित्री टाइप हो। बच्चें हम अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाएंगे,खुद भी अल्ट्रा आधुनिक बनेंगे। जबकि कोई भी शिक्षा अपना संस्कार छोड़ती है। हुआ भी वही हम किस संस्कृति के है हम भी कन्फ्यूज है।आज हम GF/BF की तकनीक में पिले है। सभी तरह के “डे” सेलिब्रेट कर रहे है। इसके बावजूद हिंदुत्व की स्थापना करना चाहते है।
न शिक्षा हमारी,न वस्त्र हमारा,न ही शास्त्र न ही आचार-विचार हमारे। संस्कृति सेकुलर हो गयी है। हम वह बन्दर बन गये है जिसने अन्य जानवरों का स्वांग रह गया है बस स्वयं का खो गया है। एक बात स्मरण रहे बिना हमारी मां के कोई हिंदुत्व आने वाला नहीं है। क्योंकि वही हमारी प्रथम गुरु है।
वेद कौन- कौन है उपनिषद क्या होता है महाभारत कैसा होता है हमें पता नहीं है लेकिन हम हिंदुत्व की रक्षा करेंगे…. लेकिन कैसे! चतुर मानव।
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एक उदाहरण लीजिये कैसे रक्षक है हिंदुत्व के… एक यादवों का गांव था उनके गांव में एक कुआं खोदा गया लेकिन पानी नहीं निकला। उधर से एक संत जा रहे थे गांव वाले संत से इसका कारण जानना चाहा। संत ने कहा कि सब लोग रात्रि में एक-एक लोटा दूध कुँए में छोड़ देना,सुबह तक पानी आ जायेगा।
सुबह देखा गया कुआँ सूखा हुआ है उसमें दूध के एक बूंद का निशान नहीं है। सन्त ने कहा कि जिस गांव में ऐसी सामुदायिक भावना है वहाँ जल कैसे निकलेगा।
हालत आज की हिदुत्व की कुछ ऐसी है। एक समय था जब लोगों ने कहा गांधी महाराज की जय हो अभी जयकारा पूरा नहीं हुआ था कि, कहा पंडित नेहरू की जय हो। शास्त्री जी के आने पर जय जवान,जय किसान के नारे में सुर मिलाये। किन्तु भारत की राजनीतिक महत्वाकांक्षा ने शास्त्री जी को ताशकंद से ताबूत में बन्द करके लाया। तुम तब भी मौन थे।
अब पदार्पण किया गया गूंगी गुड़िया का ,बाद में यही गुड़िया ऐसी पुड़िया बन गयी कि अच्छे-अच्छे की राजनीतिक दुकान पर ताले लग गये।
मेरा आशय यहाँ राजनीति बताना नहीं है लेकिन हिंदुत्व को बताना है इंदिरा ने पारसी और मुस्लिम की संतान फिरोज से निकाह कर लिया और अल्पसंख्यक आयोग बनाया गया। ये हिदुत्व की बात करने वाले तब धर्म के नाम पर धरना क्यों नहीं दिया ,जब एक विधर्मी महिला को प्रधानमंत्री बनाया गया, खुलेआम मुस्लिम तुष्टीकरण किया गया। समाजवाद और सेकुलरिज्म को संविधान में घुसाया गया। तुम मौन थे ..अब हिंदुत्व की बात कैसे कर सकते हो।
नेहरू परिवार की लम्पटता ऐसी बढ़ी की राजीव ने ईसाई महिला सोनिया से विवाह किया अब हिन्दू,मुस्लिम,पारसी और ईसाई का कम्बो हो गया। तुम्हारा हिंदुत्व फिर भी नहीं जागा। हिंदुओं का धर्मांतरण होता रहा,धर्मांतरण कराने के लिए टेरेसा को भारत रत्न दिया गया। भिंडरावाले और प्रभाकर को यही नेहरू परिवार खड़ा किया ,फिर मारे और मारे भी गये।
तुम्हारी गुलामी पर ईसाई महिला की अंतरात्मा की आवाज भारी पड़ गयी। तुम सेकुलर पगडंडी पकड़े जाली टोप लगाये इफ्तार छकते रहे। तुम हिन्दू नहीं ,पाखंडी जरूर बने रहे।
रामायण सीरियल ने तुम्हारें खोये हिंदुत्व पर चोट करी। कुछ हिंदुत्व के पागल पुजारी बाबरी विध्वंस कर दिए। किंचित हिंदुत्व जन्म लेने लगा।
अटल जी कहा मुझे पूर्ण बहुत दो मन्दिर और 370 दोनों का गोविन्दाय नमो नमः कर देंगे। जिसे मोदी ने पूरा भी कर दिया।
अब देखें पुराने सेकुलर कांग्रेसी जो बड़ा वाला हिंदूवादी टोप खिसिआहाट में पहन कर आ गया है वह हिंदुत्व कैसा हो, ज्ञान भी देने लगा है। इसे इंदिरा, राजीव, सोनिया,राहुल और प्रिंयका पर दिक्कत नहीं है लेकिन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से है। मोदी से भी है हो भी क्यों न आस्था के केंद्र नेहरू परिवार की जो दुर्गति बन गयी है वह उसके अहम को अहमद कर रहा है।
तो फिर बोलिये नये वाले हिंदुत्व की जय हो। प्रश्न पर प्रश्न पूछने वाले हिंदुत्व की जय हो।
सबसे विचारणीय यह है कि हम एक पार्टी के लिए हिंदुत्व को छोड़ दिये। हमारी संस्कृति खिचड़ी बन गयी। एक विदेशी ईसाई महिला 10 साल शासन कर जाती है। कई तिलक धारी उसकी चरण रज लेने के लिए व्याकुल रहते है। एंटोनियो माई की जय!क्या खाक तुम हिंदुत्व की लौ जलाओगे । जब विदेशी आक्रांता एक छोटी सी सेना लेकर भारत जीत लेता है तुम हिंदुपादशाही में कमियां खोजते रहे है तुम्हें बेहतर मुसलमान लगा, कभी ईसाई।
सच बताओं क्या तुम हिन्दू हो, क्या तुम उसके संस्कारों का पालन करते हो? तब तुम्हें वर्णसंकरता और कर्मसंकरता भी पता होगी।
यदि नहीं पता तो तुमसे नय होगा तुम पेटीकोट शासन में रहे हो, तुम्हें विदेशी शासक और उसकी संताने अच्छी लगती है । तुम आज भी कहते हो जो काम अंग्रेज करके चले गये उसे कोई न कर पायेगा।
जैसे तुम आज सवाल पूछ रहे हो यही नेहरू और इंदिरा के समय पूछते ? सेकुलरिज्म का भूत न चढ़ पाता हम चीनी और जापानी की तरह अपनी भाषा में विकास क्या नहीं कर सकते थे । क्यों गुलामी की प्रतीक अंग्रेजी थोपी गयी। तुम समय रहते नहीं जगते ,सत्ता से वजीफा चाहते हो। समय पर जग जाते तो आज मोदी से सवाल न पूछने पड़ते है। एक प्रश्न अपने से भी पूछ लो तुम कितने हिन्दू हो।।।
हमारे घरों में अंग्रेजी कल्चर घुस चुका है कभी आप ने ध्यान दिया है अंग्रेज और अमेरिकन द्वारा हमारे संस्कृति से क्या स्वीकार किया गया है?
हिंदुत्व की रक्षा लोकतंत्र के रहते कैसे हो सकती है राष्ट्रपति भवन से लेकर सरकारी ऑफिस,मन्दिर का प्रांगण और बगल में या सड़कों पर मस्जिद बनी है रेल मार्ग को इस लिए मोड़ दिया गया है कि शौच के लिए गये अब्दुल ट्रेन की जद में आ गये, अब वही मजार है।
खैर हमारा लब्बोलुआब है हिंदुत्व,सनातन हिन्दू धर्म ,उसका संस्कार और संस्कृति की स्थापना । यह संभव तभी है जब तुममें शुद्ध हिंदूवादी भावना हो, राजनीति नहीं।
भारत क्या पाकिस्तान,बंग्लादेश अफगानिस्तान, ईरान, म्यामार का DNA राम वाला नहीं है यह लोग मार्ग से भटक गए है इन्हें पुनः मार्ग पर लाना है। उसके लिए हिंदुओं को संगठित होना पड़ेगा।